Singrauli News: The game of adulteration of coal is going on fearlessly in Singrauli district
सफेदपोशों के द्वारा सत्ता व रसूख के दम पर किया जा रहा काला कारोबार
Singrauli News: सिंगरौली। सिंगरौली जिला चारागाहों के लिए वर्षों से कुख्यात रहा है। यहां जो भी काम होता है वह चारागाही को ध्यान में रखकर होता है। मसलन अमुक धंधे में अथवा अमुक कार्य में कितना रूपया दो नंबर से कमाई होगी इसका आंकड़ा बैठाया जाता है और उसी हिसाब से समीकरण बनाकर काम किया जाता है। दो नंबर की कमाई के समीकरण की बात करें तो इन दिनों एक नंबर के कोयले में दो नंबर की छाई और भस्सी मिलाकर दो नंबर के कायेले को नंबर एक बनाकर कोयले पर आधारित विद्युत संयंत्रों को आपूर्ति किया जा रहा है। यह धंधा गत कई वर्षों से चर्चाओं में है। सोशल मीडिया में कभी डीएस कंपनी तो कभी गोदावरी नामक कंपनी का नाम उछलता रहा है। सिंगरौली से पावर संयंत्रों को भेजे जाने वाले कोयले में भयंकर रूप से छाई और भस्सी मिलाने की बात तेजी से उछली थी। रातों रात करोड़पति बनने का सपना देखने वाले कंपनियों के कर्ताधर्ता कंपनियों की शाख को ऐसी तैसी करके धड़ल्ले से अवैध काम में संलग्न हैं। इतना ही नहीं कुछ सफेदपोशधारी भी कोयले के इस मिलावट में समीकरण बनाने के मास्टरमाइंड बताये जाते हैं। यूं तो यह धंधा लम्बे अरसे से चल रहा है और इस पर कार्यवाही के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हुयी है। जिला प्रशासन तथा संबंधित विभाग लाव लश्कर लेकर दबिश देने की नूराकुश्ती कई बार कर चुका है। लेकिन कहीं बड़े रसूख की सरपरस्ती आड़े आती है तो कहीं किसी बड़े साहब का ही निहीत स्वार्थ आड़े आता है। कोयले की इस मिलावटखोरी में सूत्रधारों की पकड़ काफी गहरी बतायी जाती है। जिला प्रशासन का जो कुछ भी प्रयास रहा हो लेकिन उससे मिलावटखोरों के मंशूबों पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आया। प्रशासन की बयानबाजी अखबारों तक ही सीमित रह गयी।
रात में की जाती है मिलावट
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, कोयले में भस्सी और डस्ट मिलाने का कार्य बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसके अलावा, जब चारकोल की कमी होती है, तो क्रेशर हाउस से स्टोन डस्ट को रात के अंधेरे में हाइवा के माध्यम से कोयला डिपो तक पहुंचाया जाता है। सूत्र बताते हैं कि यह कार्य प्रात: सुबह 3 बजे से 5 बजे के बीच किया जाता है ताकि बिना किसी रुकावट के मिलावट को अंजाम दिया जा सके। यह कार्य इतनी गोपनीयता से किया जाता है कि इसकी भनक लगाना मुश्किल हो जाता है। स्थानीय सूत्रों की मानें तो जब भी प्रशासन इस तरह की गतिविधियों पर नजर रखता है, तो कुछ दिनों के लिए यह कारोबार बंद कर दिया जाता है और बाद में फिर से शुरू हो जाता है।
कमाई का जरिया बनी चारकोल व स्टोन डस्ट
कोयला की कालाबाजारी करने वाले माफिया इस अवैध धंधे से करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। कोयले में मिलावट और दस्तावेजों में हेराफेरी कर इसे आसपास की मंडियों में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। इसके लिए जिले में संचालित क्रेशर प्लांटों से डस्ट और लोहे की फैक्ट्रियों से चारकोल लाकर कोयले में मिलाया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि सिंगरौली के गोदवाली, मोरवा और बरगवां रेलवे साइडिंग पर हजारों टन चारकोल व स्टोन डस्ट लाया जा रहा है। यह मिलावट का खेल कोल माफियाओं और अधिकारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इन रेलवे साइडिंग पर डस्ट का भंडारण आसानी से देखा जा सकता है।
मिलावट से हो रहा भारी नुकसान
कोयले में हो रही इस मिलावट से न केवल सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि इससे पावर प्लांट्स की उत्पादन क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। बिजली उत्पादन कंपनियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। कोयले की गुणवत्ता खराब होने के कारण संयंत्रों में दक्षता कम हो रही है, जिससे बिजली उत्पादन लागत बढ़ रही है और उपभोक्ताओं को महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है। सूत्रों का कहना है कि इस अवैध धंधे में सफेदपोश नेताओं और उच्चाधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है। कोयले की कालाबाजारी करने वाले इन माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिससे इन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती। खासकर, नेताओं की इस खेल में संलिप्तता की चर्चा भी जोरों पर है।
मध्य प्रदेश में जंगल राज: कमलेश्वर पटेल
मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री व सीडब्ल्यूसी सदस्य कमलेश्वर पटेल ने अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि सिंगरौली जिला प्रदेश में अवैध बालू, अवैध कोयला परिवहन व भ्रष्टाचार के लिए जाना जा रहा है। अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाने पर खनिज विभाग पर हमला हो रहा है। यह मोहन यादव सरकार की विफलता नहीं तो क्या है। भाजपा नेता माफिया के रूप में प्रशासन की खुली छूट होने पर कार्य कर रहे हैं। जनता पर अत्याचार कब तक होता रहेगा और प्रशासन कब तक मूकदर्शक बना रहेगा।