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Singrauli News: एनटीपीसी सिंगरौली हिन्दी पखवाड़ा के तहत “ज़ख्म़ मुंशी की कलम के” का मर्मस्पर्शी मंचन

Rama Posted on: 2024-09-27 16:17:00 Viewer: 329 Comments: 0 Country: India City: Singrauli

Singrauli News: एनटीपीसी सिंगरौली हिन्दी पखवाड़ा के तहत “ज़ख्म़ मुंशी की कलम के” का मर्मस्पर्शी मंचन Singrauli News: A touching performance of “Zakham Munshi ki Kalam Ke” under NTPC Singrauli Hindi Fortnight

Singrauli News: शक्तिनगर। एनटीपीसी सिंगरौली द्वारा हिन्दी पखवाड़ा के अन्तर्गत आयोजित और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से संचालित रंगमंडल समूहन कला संस्थान द्वारा प्रस्तुत दो दिवसीय समूहन नाट्य समारोह का शुभारम्भ गत संध्या दिनांक 26.09.2024 को किया गया। समारोह के प्रथम दिन कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द के तीन कहानियों को आधार बनाकर समसामयिक दृष्टिकोण से मानवेन्द्र त्रिपाठी का लिखा नाटक ‘‘ज़ख्म़ - मुंशी की कलम के’’ का राजकुमार शाह के निर्देशन में मंचित हुआ। समारोह की संध्या का शुभारम्भ एनटीपीसी व बीएचईएल के सभी सम्मानित मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन करके किया। तत्पश्चात् आगत अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ भेंट करके किया गया।

प्रेमचन्द की रचनाएं ऐसी समसामयिक और कालजयी हैं कि पठन पाठन के अन्तर्गत कोई न कोई कहानी लोग अक्सर पढ़ ही लेते है। इसी पढ़ने के क्रम में इस नाट्य प्रस्तुति की कल्पना बनी कि अगर कहानी के पात्र किताबों से निकल कर जीवन्त रुप में स्वयं लेखक के समक्ष उपस्थित हो जाये तो लेखक और पात्रों की मनःस्थिति और उनके बीच भावनाओं का आदान प्रदान किस रुप में होगा। यही विचार प्रस्तुति की रचना का आधार बनी। लेखक जब स्वयं पात्र के रुप में रचित रचना के पात्रों के साथ अभिनेता के रुप में अभिव्यक्ति व्यक्त करे तो नाट्य रचना के भावार्थ और स्पष्ट रुप से सामने आयेंगे। नाटक की शुरुआत प्रेमचन्द और ‘ठाकुर का कुआँ’ की मुख्य पात्रा गंगिया के संवाद से प्रारम्भ होती है। प्रेमचन्द की तीन कहानियाँ ठाकुर का कुआँ, कफ़न, ईदगाह के पात्रों के माध्यम से एक दूसरे से जुड़ती चली जाती है। कहानियों के संवाद को वर्तमान समय की स्थिति परिस्थिति के दृष्टिकोण से देखने की जो कोशिश लेखक मानवेन्द्र त्रिपाठी ने की है वह काबिले तारीफ है। अन्तिम दृश्य में हामिद के साथ सभी पात्रों का प्रेमचंद के समक्ष आना और यह कहना कि आज हम सब इस जमाने के लिए पुराने पड़ गये हैं, कोई नहीं पूछता हमें। कम से कम आप तो हमें अकेला मत छोड़िये। यह सुनकर प्रेमचन्द की वेदना द्रवित होकर उनकी लेखनी की शब्द की ही तरह फूट पड़ती है। तीनों कहानियों की आत्मा को निर्देशक राजकुमार शाह ने बडे़ ही संवेदनशील बनाकर दृश्यों का प्रभावशाली निर्माण किया है।

नाट्य प्रस्तुति ‘‘ज़ख्म़ - मुंशी की कलम के’’, अपने कथ्य, शिल्प और संगीत से संवेदनहीन विद्रुप कठोर समाज की सोई आत्मा को जगाने के प्रयास में सततरत् कलम के सिपाही के दर्द को रेखांकित करती है। मंच पर गंगिया की भूमिका को रिम्पी वर्मा ने जीवंत किया। जोखू की भूमिका में राजन कुमार झा, घीसू और माधव सुनील कुमार और हेमेश कुमार, अमीना और हामिद के रूप में ख़ुशबू निशा और प्रियांक शर्मा ने अपने अभिनय से प्रभावित किया। ठकुराईन रितिका सिंह, मनीषा प्रजापति कोरस गायन में रूद्र रावत और रितिका सिंह, संगीत वृंद में हारमोनियम पर अजीत शर्मा, रिद्म पर गौरव शर्मा, ध्वनि प्रभाव एवं क्रियेटिव सपोर्ट रविप्रकाश सिंह, हर्ष चौहान रूपसज्जा एवं मंच प्रबंध में हेमेश कुमार, मनीषा प्रजापति, सुनील कुमार, राजन कुमार झा ने नाटक को सार्थक गति दी। प्रकाश योजना मो0 हफ़ीज,नाट्यालेख मानवेन्द्र त्रिपाठी, गीत - वैभव बिंदुसार प्रस्तुति परिकल्पना एवं निर्देशन राजकुमार शाह का और प्रेमचन्द की भूमिका में स्वयं निर्देशक ने ठोस धरातल प्रदान किया।

इस अवसर पर एनटीपीसी सिंगरौली के अमरीक सिंह भोगल, महाप्रबंधक, प्रचालन एवं अनुरक्षण, जोसेफ़ बास्टियन, महाप्रबंधक, मेंटेनेंस एंड ऐश डाइक मैनेजमेंट, विनय कूहिकर, महाप्रबंधक एवं परियोजना निदेशक, बीएचईएल, यूनियन एवं एसोशिएशन के पदाधिकारीगण एवं अन्य सभी एनटीपीसी के विभाग प्रमुख, कर्मचारी गण आदि उपस्थित रहे। आयोजन का सफल संचालन डॉ ओम प्रकाश, वरिष्ठ प्रबन्धक, राजभाषा एवं सीएसआर और आभार ज्ञापन अमरीक सिंह भोगल, महाप्रबंधक, प्रचालन एवं अनुरक्षण ने किया।

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