Singrauli News: Bargawan coal yard is running by ignoring the rules, the government administration has tacit consent
निजी भूमि में कर रखा है कोयले का भंडारण, जानकारी के बाद नहीं होती कोई कार्रवाई
Singrauli News: सिंगरौली। सिंगरौली जिला आये दिन कोयले के काले कारोबार को लेकर सुर्खियों में रहता है। सूत्र बताते है बरगवां कोलयार्ड में मिक्सिंग का खेल जोरों पर चल रहा है आपको बता दें कोयले में तिलैया झारखंड से प्रतिदिन मंगाई जा रही चारकोल को बरगवां साइडिंग पर मिलाकर कंपनियों को भेजा जा रहा है वही मिलावट के बाद जो कोयल बच जाता है उसको रेलवे साइडिंग से किनारे निजी भूमि पर अवैध यार्ड बनाकर रखा जाता है। सूत्र बताते हैं जब कोल माफिया अपना डीओ फाइनल कर लेते है। उसके बाद डीओ से निकलने वाली गाड़ियों को लोड कर बाहर मंडियों में बेचने के लिए भेज दिया जाता है। और मिलावट के बाद बचे हुए कोयले को डीओ का कोयला बताते हुए पेपर तैयार कर रेलवे द्वारा रैक लोड करा दिया जाता है। जब कि सूत्र बताते है कि डीओ से निकली हुई गाड़ियों असल में कोल यार्ड तक पहुँचती ही नहीं है। रेलवे अधिकारियो की मिली भगत से मिलावट के बाद बचे हुए कोयले को ही डीओ का कोयला बताकर रैक लोड कर दिया जा रहा है। सूत्र बताते है की अगर डीओ से निकली हुई गाड़ियों का पेपर चेक किया जाये तो साफ पता चलेगा की कैसे खेला जा रहा कोयले का खेल। गाड़ियों का ईडीआरएम से सेंक्शन हुए ई खनिज डीपी, इ वे बिल व इनवॉइस की जाँच की जाये तो कई जिम्मेदार अधिकारियो की पोल खुलती नजर आएगी।
इस गोरखधंधे में न सिर्फ कोल माफिया, बल्कि सफेदपोश नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत भी उजागर हो रही है। मामला झारखंड के तिलैया से शुरू होकर मध्यप्रदेश के सिंगरौली तक फैला हुआ है, जहाँ बड़े पैमाने पर मिलावटी कोयले का कारोबार चल रहा है। इस मिलावटखोरी के खेल का नेटवर्क सिर्फ सिंगरौली तक सीमित नहीं है। यह सिंडिकेट झारखंड के तिलैया, रामगढ़, सीधी के बहरी, सोनभद्र और चंदौली की चंदासी कोयला मंडी तक फैला हुआ है। यहाँ से यह मिलावटी कोयला बरेली, कोलकाता और झारखंड तक भेजा जाता है। सफेदपोश नेताओं और खनिज अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर यह धंधा नहीं चल सकता।
बिना परमिशन निजी भूमि पर बना अवैध कोलयार्ड
बरगवां क्षेत्र में कोलयार्ड के नाम पर कोल माफिया ने निजी भूमि पर कोयले का कर रखा है भंडारण, सूत्र बताते हैं बरगवां क्षेत्र में कोल व्यापारी निजी भूमि पर अपना कोलयार्ड बना रखे हैं जबकि निजी भूमि पर कोलयार्ड नहीं बनाया जा सकता इसके लिए बाकायदा रेलवे द्वारा परमिशन लेकर रेलवे साइडिंग में बनाया जाता है लेकिन मनमाने रवैया के कारण कोल माफिया निजी भूमि पर कई टन कोयले का अवैध भंडारण कर रखे हैं। बिना खनिज अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर यह धंधा नहीं चल सकता। सूत्र बताते है कि ये कोल माफिया मिलावट के बाद बचे हुए कोयले को निजी भूमि पर इकट्ठा कर मार्केट में बेच दिया जाता है। मिलावट के लिए ये लोग चारकोल और भस्सी ( स्टोन डस्ट ) का इस्तेमाल किया जाता है। सूत्र बताते है मिलावट का कारोबार 60, 40 के रेशिओ में खेला जाता है। जिसमे 60 प्रतिशत कोयला और 40 प्रतिशत चारकोल या स्टोन डस्ट का इस्तेमाल किया जाता है।