Singrauli News: Officials came into action in the fake land fraud case
सर्विस प्रोवाइडर, विक्रेता, क्रेता एवं गवाह कटघरे में
Singrauli News: सिंगरौली। ढोंगा जमीन धोखाधडी का मामला सुर्खियों में आने के बाद अब अधिकारी हरकत में हैं, जहां एक ओर पुलिस अपने ओर से मामले की तहकीकात में जुट गयी है वहीं दूसरी ओर पंजीयक कार्यालय में भी मामले को लेकर हलचल है, वहीं पूरे जिले में जमीन कारोबार से जुडे लोगों में इस बात की चर्चा जोरों पर है। सर्विस प्रोवाइडर आलोक द्विवेदी की भूमिका संदेह के दायरे में हैं वहीं विक्रेता, क्रेता एवं गवाह भी इस पूरे मामले में कटघरे में आ सकते हैं। शिकायत कर्ता ने भी मामले को लेकर एडी चोटी का जोर लगाया हुआ है वह लगातार कार्यालयों की दौड लगा रहा है। कुदवार चौकी में वह कई बार आवेदन दिया जा चुका है। पिछले दिनों फिर एक बार आवेदन देकर आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की।
उल्लेखनीय है कि देवसर तहसील के ढोगा गांव में एक एकड 35 डिसमिल जमीन की विक्री 6 सितंबर 2022 को हुई थी। शिकायतकर्ता रामसुरेष केवट निवासी ढोंगा के मुताबिक उसकी माता तिलरनिया बेबा पति बंषपती केवट वर्ष 2012 से ही गायब है, वह आज तक गायब है लेकिन उनके नाम दर्ज ग्राम ढोंगा की आराजी खसरा नंबर 989/1/1 की जमीन जिसका रकवा 0.5400हे0 है उसे एक अन्य महिला को खडा कर शिकायत कर्ता के भाई ने ही अपने नाम रजिस्टी करा ली। माता के नाम भूमि थी इसलिये उसमें दोनों भाईयों को आधा - आधा हिस्सा चाहिये था लेकिन एक भाई ने सर्विस प्रोवइडर आलोक द्विवेदी के साथ सांठ - गांठ कर सारी जमीन अपने नाम करा ली।
पटवारी एवं तहसील के कर्मचारी भी कटघरे में
रजिस्टी होने के बाद नामांतरण में भी पटवारी एवं तहसील के कर्मचारियों ने काफी दिलचस्पी दिखाई और आनन - फानन में नामांतरण कर दिया जबकि यदि जांच परख एवं नियमों के तहत प्रक्रिया की गयी होती तो नामांतरण के दौरान ही धोखाधडी करने वाले पकड में आ सकते थे और नामांरण की प्रक्रिया रुक सकती थी , लेकिन यहां भी गंभीर लापरवाही बरती गयी। ग्रामीणों का बिना इस्तहार पंचनामा महज कागजों में कर दिया गया गांव वालों से नहीं जानकारी ली गयी जिसकी वजह से नामांतरण भी हो गया।
यह होंगे कटघरे में
इस पूरे मामले में सर्विस प्रोबाइडर आलोक द्विवेदी सहित क्रेता, विक्रेता एवं गवाह कटघरे में हैं। सभी को इस धोखाधडी की जानकारी थी लेकिन इन लोगों ने जानबूझकर भाई की जमीन हडपने के लिए जाल बुना। इसके उपर कार्यवाही निष्चित मानी जा रही है।