Singrauli News: Godavari Commodities and Proprietor Coal Company are being accused of adulteration in coal
जिले के कोल माफ़िया का तार रीवा से जुड़े भू-माफियाओं से : सूत्र
Singrauli News: सिंगरौली जिले में इस समय कोयले में मिलावटखोरी और कालाबाजारी के गंभीर आरोपों के कारण चर्चा में है। कोयला, जो बिजली उत्पादन का मुख्य खनिज है, इसमें मिलावट का यह खेल केवल माफियाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सफेदपोश लोग भी शामिल बताए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, स्टोन डस्ट (पत्थर की धूल) को कोयले में मिलाकर न केवल गुणवत्ता को कम किया जा रहा है, बल्कि इसके माध्यम से करोड़ों रुपये का अवैध कारोबार किया जा रहा है। सूत्र बतातें है कि ये सफेदपोश नेता यहां तो अपना कोयले से हाथों को काला तो कर ही रखा है साथ ही इनका भू-माफियाओं के भी सम्बन्ध बताये जाते है। मिली जानकारी के अनुसार इनका कारोबार रीवा में भू-माफियाओं के साथ इन्वेस्टमेंट के तौर पर कर रहे है।
अवैध कारोबार का संचालन बड़े पैमाने पर
सूत्रो के अनुसार कोयले में मिलावट करने के लिए जिले के विभिन्न क्रेशर प्लांटों से स्टोन डस्ट लाया जा रहा है। यह सामग्री सिंगरौली जिले के बरगवां रेलवे साइडिंग तक पहुंचाई जा रही है, जहां से इसे कोयले में मिलाकर विभिन्न पावर प्लांटों तक भेजा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो बरगवां, गोदवाली और मोरवा रेलवे साइडिंग पर इस अवैध कारोबार का संचालन बड़े पैमाने पर हो रहा है। सूत्रों की माने तो प्रापक कोल कंपनी (डीएस) , गोदावरी कमोडिटीज लिमिटेड द्वारा कोयला में मिक्सिंग कर पावर संयंत्र ललितपुर थर्मल पावर, बजाज एनर्जी लिमिटेड और प्रयागराज पावर प्लांट को मिलावटी कोयला भेजा जा रहा है। और कटिंग किये हुए फ्रेश कोयले को सीधी के बहरी यार्ड में भेजा जा रहा है। सूत्र बताते है कि छाई (चारकोल) और भस्सी का बड़ा खेल शुरू हो गया है।
पावर संयंत्रों को झेलनी पड रही है दोहरी मार
जानकारी के अनुसार कोयले में मिलावट का मुख्य खेल मोरबा और बरगंवा रेलवे स्टेशन के कोल यार्ड साइडिंग पर खेला जाता है जहां ललित पुर पांवर प्लांट और प्रयागराज पांवर प्लांट के लिए कोयला लोड किया जाता है। यही मिलावटी कोयला जब पांवर संयंत्रों द्वारा जब उपयोग में लाया जाता है तो बिजली उत्पादन में जहां विपरीत असर पड़ना स्वाभाविक है वहीं परियोजनाओं की बहुमूल्य मशीनरी भी खराब हो जाती हैं।
चारकोल और स्टोन डस्ट की होती है मिलावट
हमारे भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि कोयले मिलावट में छाई(चारकोल) और स्टोन डस्ट का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है। अवैध कारोबारियों को चारकोल जहां झारखंड के रामगढ़ से और स्टोन डस्ट सिंगरौली में जगह-जगह संचालित स्टोन क्रेशरों से आसानी से अत्यधिक कम कीमत पर उपलब्ध हो जाता है। सूत्रों की मानें तो प्रतिदिन 50 से अधिक गाड़ियों से चारकोल की खपत की जाती है जबकि इतनी ही मात्रा में प्रतिदिन स्टोन डस्ट की भी खपत होती है। अब सीधा सा हिसाब लगाया जा सकता है कि एक रात के अंधियारे में कितने लाख की कोयला चोरी की जाती होगी।
ये कम्पनियाँ कर रही है कोयला लोडिंग व ट्रांसपोर्टिंग का काम
मिली जानकारी के अनुसार गोदावरी कमोडिटीज लिमिटेड एवं प्रापक कोल कंपनी को मोरबा एवं बरगवां रेलवे स्टेशन स्थित कोल यार्ड से पांवर कंपनियों द्वारा कोयला लोडिंग और ट्रांसपोर्टिंग का ठेका मिला हुआ है और लोडिंग के दौरान ही मिलावट का खेल होता है। ऐसी स्थिति में यक्ष प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि मिलावट खोरी का यह खेल किसकी सह पर सफल हो रहा है।