Singrauli News: Dispute over drain construction in ward number 41 of NANI Singrauli, allegation of blackmailing
Singrauli News: सिंगरौली नगर निगम के वार्ड क्रमांक 41 में नाली निर्माण कार्य को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि ठेकेदार द्वारा बनाई गई नाली को कुछ लोगों ने जानबूझकर क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया, ताकि ठेकेदार की शिकायत नगर निगम के अधिकारियों से की जा सके और ब्लैकमेलिंग के ज़रिए फायदा उठाया जा सके।
कैसे हुआ मामला शुरू?
जानकारी के अनुसार, नगर पालिका निगम सिंगरौली द्वारा वार्ड क्रमांक 41 में नाली निर्माण कार्य कराया गया था। इस कार्य को ठेकेदार के माध्यम से पूरा किया गया, लेकिन इसके बाद नाली को लेकर एक अजीब घटनाक्रम सामने आया। कहा जा रहा है कि कुछ तथाकथित लोगों ने पहले से ही ‘सेटिंग’ लगाकर ठेकेदार से अनुचित लाभ लेने की योजना बनाई थी। मगर जब ठेकेदार ने अपनी ओर से कोई गलती नहीं की, तो इन लोगों ने नाली को खुद ही प्रेशर पाइप की मदद से क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों से शिकायत करने की साजिश रची गई, ताकि ठेकेदार पर आरोप लगाकर उस पर दबाव बनाया जा सके।
ब्लैकमेलिंग में जनप्रतिनिधि की भूमिका
इस पूरे मामले में एक जन प्रतिनिधि का नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहा है। आरोप है कि इस जन प्रतिनिधि ने ठेकेदार को ब्लैकमेल करने के लिए नाली को क्षतिग्रस्त करने की योजना बनाई। सूत्रों के अनुसार, यह वही जन प्रतिनिधि है, जिस पर पहले भी पुलिस कर्मियों से विवाद और जमीन पर अवैध कब्जे के आरोप लग चुके हैं। मामला सिर्फ इतना ही नहीं है, बल्कि ब्लैकमेलिंग की इस साजिश में एक स्थानीय पकौड़ा विक्रेता की संलिप्तता की बात भी सामने आई है। बताया जा रहा है कि पकौड़ा विक्रेता ने इस योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पूरी घटना को अंजाम देने में मदद की।
नगर निगम में जारी है अराजकता
नगर निगम सिंगरौली में ऐसे अजीबोगरीब मामलों का सामने आना कोई नई बात नहीं है। कभी अधिकारी आपस में ही भिड़ते नजर आते हैं, तो कभी जन प्रतिनिधि और अधिकारियों के बीच तकरार हो जाती है। लेकिन अब तो हद ही हो गई जब ठेकेदार को ब्लैकमेल करने के लिए शासकीय संपत्ति को ही क्षतिग्रस्त करने का प्रयास किया गया।
निष्पक्ष जांच की मांग
इस पूरे मामले को लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है। लोग मांग कर रहे हैं कि नगर निगम इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। यदि जांच सही ढंग से की जाए, तो इसमें शामिल जन प्रतिनिधियों पर शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और ठेकेदार को ब्लैकमेल करने के आरोप में मामला दर्ज किया जा सकता है।
हालांकि, सत्ता के दबाव के चलते इस मामले में कार्रवाई होने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है। नगर निगम की कार्यप्रणाली और स्थानीय राजनीति में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर लोगों के मन में पहले से ही नाराजगी है, और इस घटना ने आग में घी डालने का काम किया है। सवाल उठता है कि आखिर कब तक नगर निगम सिंगरौली में इस तरह की अराजकता चलती रहेगी? क्या सरकारी संपत्तियों को ऐसे ही नुकसान पहुंचाया जाता रहेगा? क्या ठेकेदारों को ब्लैकमेलिंग का शिकार बनाकर कमीशनखोरी का खेल यूं ही चलता रहेगा? इन सभी सवालों के जवाब जनता को चाहिए और सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करेगा या फिर सत्ता की ताकत के आगे न्याय की आवाज दबकर रह जाएगी?