Bharat Dynamics Limited: Indian Air Force gives approval to Bharat Dynamics Limited to produce 200 Astra Mark-1 missiles
Bharat Dynamics Limited: भारतीय वायु सेना ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (बीडीएल) को 200 एस्ट्रा मार्क-1 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के उत्पादन के लिए मंजूरी दी है। एस्ट्रा मिसाइलों को रूसी मूल के सुखोई-30 और स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस विमानों में एकीकृत किया जाएगा।
एस्ट्रा मिसाइलों को डीआरडीओ ने किया विकसित
एस्ट्रा मिसाइलों को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है, जिसकी उत्पादन एजेंसी बीडीएल है। वायु सेना के अधिकारियों ने बताया कि बीडीएल को उत्पादन की मंजूरी हाल ही में भारतीय वायु सेना के उप प्रमुख एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित की हैदराबाद यात्रा के दौरान दी गई। आईएएफ के उप प्रमुख ने डीआरडीओ की रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला का दौरा किया था, जो एस्ट्रा मिसाइलों के लिए विकास एजेंसी है।
सुखोई-30 और स्वदेशी एलसीए तेजस विमानों में एकीकृत किया जाएगा
रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 2,971 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजना के लिए 31 मई, 2022 को मंजूरी दी थी। सभी परीक्षणों और विकासों के पूरा होने के बाद अब 200 मिसाइलों के लिए उत्पादन की मंजूरी दे दी गई है। मिसाइलों के उत्पादन के बाद रूसी मूल के सुखोई-30 और स्वदेशी हल्के लड़ाकू तेजस विमानों को एस्ट्रा से लैस किया जाएगा। भारतीय वायु सेना मिसाइलों के लिए कई स्वदेशी परियोजनाओं में मदद कर रही है और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों सहित तीन से चार ऐसे कार्यक्रम पूरे होने वाले हैं।
अब 130 कि.मी. दूरी तक मारक क्षमता वाली मार्क-2 का होगा परीक्षण
भारतीय वायु सेना डीआरडीओ के साथ स्वदेशी एस्ट्रा कार्यक्रम को आगे बढ़ा रही है। अब लगभग 130 किलोमीटर की दूरी तक मारक क्षमता वाली एस्ट्रा मिसाइल के मार्क-2 का परीक्षण करने पर विचार किया जा रहा है। इसके अलावा 300 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली लंबी दूरी की एस्ट्रा मिसाइल का परीक्षण और विकास करने की योजना भी चल रही है।
यह परियोजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना का प्रतीक
भारत के पास अभी तक इस श्रेणी की मिसाइल को स्वदेशी रूप से बनाने की तकनीक उपलब्ध नहीं थी लेकिन अब एस्ट्रा मिसाइल दुश्मन के वायु रक्षा उपायों के सामने खुद को उजागर किए बिना शत्रु दल के विमानों को बेअसर कर सकती है। यह मिसाइल तकनीकी और आर्थिक रूप से ऐसी कई आयातित मिसाइल प्रणालियों से बेहतर है। भविष्य में भारतीय नौसेना के मिग-29के लड़ाकू विमानों को भी इस मिसाइल से लैस किया जाएगा। यह परियोजना ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना का प्रतीक है और हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में देश की एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी को साकार करने में मदद करेगी।