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राष्ट्रीय संग्रहालय में भारत और डेनमार्क के रजत धरोहरों की अनूठी प्रदर्शनी शुरू

Admin Posted on: 2023-02-28 15:12:00 Viewer: 554 Comments: 0 Country: India City: Singrauli

राष्ट्रीय संग्रहालय में भारत और डेनमार्क के रजत धरोहरों की अनूठी प्रदर्शनी शुरू

 

Singrauli Mirror News: अगर आपको इतिहास में रुचि है और प्राचीन कलाकृति और विरासत को देखने का शौक है तो आपके लिए एक सुनहरा अवसर है। नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में भारत और डेनमार्क की समृद्ध चांदी की विरासत का प्रदर्शन करने के लिए ‘भारत एवं डेनमार्क की रजत धरोहर’ (Silver treasures from India and Denmark) नाम से एक विशेष प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से पहली बार भारत और डेनमार्क के रजत के इतिहास को प्रदर्शित किया जा रहा है।

प्रदर्शनी में क्या है खास
इस प्रदर्शनी में भारत और डेनमार्क दोनों देशों के 250 से ज्यादा चांदी की बनी कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। इनको रोचक तरीके से पांच विषयों में विभाजित किया गया है। प्रदर्शनी की खास बात यह है कि इसमें सिंधु घाटी सभ्यता की चांदी से बनी मोतियों की माला को खास जगह दी गई है। इसके साथ इस प्रदर्शनी में मध्यकालीन चांदी के सिक्के, चांदी से बनी मूर्तियां, आभूषण, उत्कृष्ट कारीगरी से सजे हुक्के, इत्रदान, पानदान, शामिल हैं। वहीं, डेनमार्क से आए कलेक्शन में 16वीं शताब्दी की ऐतिहासिक धरोहर शामिल हैं, इनमें चांदी से बनी बाइबल के कवर, आभूषण, इत्रदान, चांदी के बर्तन, कटलरी, चॉकलेट सेट शामिल हैं।

प्रदर्शनी की टाइमिंग क्या है ?
इस प्रदर्शनी का उद्घाटन डेनमार्क के क्राउन प्रिंस और क्राउन प्रिंसेस ने किया। इस मौके पर विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी और डेनमार्क के विदेश मंत्री लार्स लोक्के रासमुसेन मौजूद थे। राष्ट्रीय संग्रहालय में लगाई गई रजत धरोहर की यह प्रदर्शनी आज यानि 28 फरवरी से आम लोगों के लिए खोल दी गई है। लोग सुबह दस बजे से शाम 6 बजे तक इसका अवलोकन कर सकते हैं। यह प्रदर्शनी 31 अप्रैल तक चलेगी।

दोनों देशों के संबंध और होंगे मजबूत
डेनमार्क और भारत के रजत धरोहर नाम से प्रदर्शनी दोनों देशे के बीच मैत्री को संस्कृति रूप से और मजबूत करेगा। संस्कृति एक सेतु का निर्माण करती है जहां हम एक दूसरे से बहुत कुछ सीख सकते हैं और एक दूसरे की दुनिया, भिन्नताओं और समानताओं के बारे में गहन जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह प्रदर्शनी एक अवसर है जहां दोनों देश एक दूसरे की समृद्ध संस्कृति को करीब से जान सकेंगे और द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती प्रदान करेंगे। यह प्रदर्शनी सांस्कृतिक आदान-प्रदान के एक कार्यक्रम का हिस्सा है जो 2026 तक जारी रहेगा। इसलिए संस्कृति, शिल्प, संगीत और साहित्य में आदान-प्रदान के लिए व्यापक संभावनाएं मौजूद है।

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