Singrauli Pollution News: Brick kiln operated among the population, problem due to smoke and ash,
अवैध ईंट भट्ठों पर विभाग की नजर नहीं
Singrauli Pollution News: सिंगरौली:जिले से लगे क्षेत्र में इन दिनों अवैध ईंट भट्टे का संचालन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। संचालन करने वाले खनिज नीति का पालन भी नहीं कर रहे हैं। न ही स्थानीय निवासियों के स्वास्थ्य की कोई चिंता है। बाहर से मजदूर बुलाकर गुणवत्ता हीन ईंट से मोटी रकम कमा रहे हैं। नदी और नालों के किनारे आसपास के इलाकों में बड़ी मात्रा में छोटे-बड़े ईंटों का भट्टा लगाया जा रहा है। धुंआ व राख से रहवासी क्षेत्र के लोगों को परेशानी तो होती है आसपास पर्यावरण प्रदूषण भी हो रहा है। मिट्टी के अत्याधिक खनन से उर्बरा शक्ति नष्ट होने के साथ ही भूस्खलन की आशंका रहती है। जिला मुख्यालय से महज कुछ किमी की दुरी पर ईंट भट्टा लंबे समय से संचालित है। रहवासियों ने कई बार प्रशासन को समस्या से अवगत कराया है। लेकिन सूत्र बताते है कि अधिकारियों की मिलीभगत से कोई कार्रवाई नहीं होती है।
जनसुनवाई में ग्रामीण ने दिया आवेदन
आप को बता दे जनसुनवाई में पहुंचे, सुवंश राम साकेत पिता लल्ला राम साकेत निवासी ग्राम बरवानी, पो० करैला, थाना मोरवा, तहसील चितरंगी के निवासी बताते है कि ग्राम बरमानी तहसील चितरंगी निवासी नंदलाल साकेत पिता बुधई साकेत अवैधानिक तरिके से बगैर शासन की मंजूरी के ही ईटा की पथाई कर ईदा भट्ठा लगाकर अवैधानिक तरिके से विक्रय किया जा रहा है। उक्त नंनदलाल साकेत का पेशा ही ईट भट्टे का हो गया है जिसके द्वारा आए दिन एक लाख तक के इंटों तक का कई भट्टा लगाया जाता है जिससे निकलने वाला कोयला का धुँआ गांव-घर में फैलता है जिससे आम जन को श्वास लेने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है व पर्यावरण में कोयला का धूआं भट्ठ से निकलने के कारण जहर बना हुआ है विरोध करने पर उसके द्वारा झगड़ा विवाद किया जाने लगता है व कहा जाता है जो करना हो करते हो मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा। उक्त ईटा भट्ठा संचालक काफी धनी मानी व्यक्ति है जिसके प्रभाव के कारण गांव घर के लोग भी भयभीत रहते है जिसका विरोध गांव के लोग कर पाने में असमर्थ है। विरोध किए जाने पर जान से खत्म कराने की धमकी दिया जाता है। जिससे उक्त नंदलाल साकेत के द्वारा अवैधानिक तरिके से संचालित किए जा रहे ईटा भट्ठों की जांच कर बन्द कराते हुए दण्डात्मक कार्यवाही किया जाकर अर्थदण्ड से दण्डित किया जाना न्यायसंगत होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में रोड किनारे ही दर्जनों ईंट के भट्टे
सिंगरौली जिलो के कई क्षेत्रों में निजी निर्माण के अलावा शासकीय कार्यों के लिए इसका उपयोग हो रहा है। जिसके लिए खनिज विभाग से किसी प्रकार की अनुमति नहीं ली गई! यहां तक की मिली जानकारी के अनुसार सिंगरौली जिले में लाल ईटे का कारोबार पूर्णता प्रतिबंधित किया गया है। जिसके बावजूद ही नियमों को ताक पर रखकर लाल ईटे का कारोबार बेधड़क जिले में जारी है फिर भी खनिज अमला इस पूरे कारोबार से अनजान बना हुआ है या यूं कहें कि विभाग जानकर भी अनजान बना बैठा है।
जानकारी के अनुसार नियमानुसार 25 हजार तक की ईंट बनाने के लिए तहसीलदार व 50 हजार या इससे अधिक ईंट निर्माण के लिए खनिज विभाग की अनुमति लेना होती है, लेकिन आसपास ग्रामीण अंचलों में कई ईंट भट्टे लगाए जा चुके हैं, और लगाए भी जा रहे हैं, लेकिन खनिज विभाग व जिले के जिम्मेदार प्रशासन इन अवैध भट्टाें पर अंकुश लगाने में सफल नहीं हो पा रहा है।न ही किसी प्रकार की कोई कार्रवाई कर रहे हैं। जिले में शहरी क्षेत्रों में भी इन लाल भट्ठा कारोबारियों की तादाद दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। दूसरी तरफ जिले में प्रदूषण का बढ़ता ग्राफ को देख जिले के जनमानस से लेकर जिला प्रशासन चिंतित नजर आ रहा है तो वही जिले में चल रहे बिना रोक-टोक के लाल ईट के कारोबार भी इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं।
जिला मुख्यालय से सटे कई क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ईंट भट्टे लगाए जा रहे हैं। यह सिलसिला हर वर्ष देखने को मिलता है। वहीं विभाग की ओर से कार्रवाई नहीं होने के कारण ईंट भट्टों का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। जिले सहित शहर से लगे आसपास के इलाकों में इन दिनों लाल ईंट निर्माण का अवैध कारोबार बड़ी संख्या में हो रहा है। जिला मुख्यालय के आसपास करीब 40 से अधिक लाल ईंट भट्टे संचालित हो रहे हैं। इन भट्टों में ईंट बनाने के लिए किसी ने खनिज विभाग से अनुमति नहीं ली है। बिना किसी अनुमति के लाल ईंट बनाने का काम बेरोकटोक चल रहा है।
सूत्र बताते हैं कि खनिज विभाग के अधिकारी जिले में चल रहे इस अवैध कारोबार से अनजान नहीं है। मगर अधिकारी मौन धारण किए हुए हैं। जिससे बेखौफ होकर यह काम किया जा रहा है। लाल ईट बनाने वाले इन भट्टा के जरिए खुलेआम प्रदूषण फैलाया जा रहा है। जबकि बगैर चिमनी के भट्ठों का संचालन नहीं किया जा सकता। ईंट भट्टों से फैल रहे धुएं के कारण लोगों की सेहत पर भी असर पड़ रहा है।
ईंट भट्टा संचालक नहीं लेते किसी प्रकार की अनुमति
मिट्टी से बनी ईंट को पकाने के लिए उच्च स्तरीय कोयले का इस्तेमाल किया जाता है, लाल ईट भट्ठा के कारोबार में कोयला भी चोरी का इस्तेमाल किया जाता है बड़े पैमाने पर हो रहे इस कारोबार में खनिज हमले की चुप्पी कारोबार को बढ़ावा देने में मुख्य भूमिका निभा रही है। ईट पकाने के लिए कोयले का इस्तेमाल करते वक्त निकलने वाले ढूंगे से प्रदूषण तेजी से फैल रहा है जिससे ईट भट्ठा के आसपास के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे उठने वाला धुआं पर्यावरण सहित लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है। इस तरह से कई ईंट भट्टे आबादी क्षेत्र में संचालित किए जा रहे हैं। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। क्षेत्र में संचालित ईंट भट्टा संचालकों ने खनिज विभाग से एनओसी नहीं ली है साथ ही पर्यावरण विभाग से भी अनुमति नहीं ली गई है, बावजूद इसके जांच या कार्रवाई नहीं होने से संचालकों की मनमानी बढ़ती जा रही है। इधर भट्टा संचालक ने अवैध विद्युत कनेक्शन भी ले रखे हैं। इस तरह अवैध भट्टा संचालक से सरकार को रॉयल्टी का नुकसान पहुंच रहा है। सर्दी के दिनों में धुएं के कारण रोड पर दिखना भी मुश्किल हो जाता है।