Singrauli News: Liquor is being sold at a higher price than MRP in the district, officials are unable to control it
सिंडिकेट के आगे आबकारी अधिकारी लाचार , विभाग नहीं कर रहा कोई कार्रवाई
Singrauli News: शहर में शराब को सरकारी रेट पर न बेच कर ओवर रेट बेचा जा रहा है। यह कार्य शराब दुकान मालिक आबकारी विभाग के अधिकारियों से मिली भगत कर कर रहे हैं। जिसकी वजह से आए दिन सेल्समैन और ग्राहक के बीच दुकानों पर झगड़े हो रहे हैं। गौरतलब है कि अंग्रेजी हो या फिर देसी शराब दुकान सभी दुकानों में प्रिंट रेट से बीस से तीस रुपए अधिक दर पर बेची जा रही है, साथ ही शराब की दुकानों पर रेट लिस्ट भी नहीं लगी है। वहीं शराब की मिल रही शिकायत के बावजूद पुलिस-प्रशासन व आबकारी विभाग कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।
वैढ़न के निवासी आर यल शाह का कहना है कि रविवार शाम को मैंने बाजार में एक अंग्रेजी शराब दुकान से एक बीयर की बाेतल ली तो सेल्समैन द्वारा प्रिंट रेट से अधिक 20 रुपए अतिरिक्त लिए विरोध करने पर वह झगड़ा करने लगा। इसके अलावा बस स्टैंड एरिया निवासी विनय का कहना है कि शहर में संचालित अंग्रेजी और देशी शराब दुकानों पर जमकर ओवर रेट में शराब बेची जा रही है। यह सब अबकारी विभाग के अधिकारियों की जानकारी में हो रहा है। इस कारण से वे शराब दुकानदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
मिलावट की भी हो रही चर्चा
दुकानों पर काम करने वाले सेल्समैन मिलावटी शराब बेचने में भी काफी माहिर हैं। देसी शराब के क्वार्टर व बोतल में यह लोग आसानी से उसका ढक्कन खोलकर पानी की मिलावट कर बचे रहे हैं। शराब पीने वाले लोग यह सब जानते हैं, लेकिन झगड़े के डर के कारण यह लोग ज्यादा कुछ बोल नहीं पाते और विरोध किए बिना ही शराब खरीदकर चलते जाते हैं।
यूनियन बना कर काम कर रहे शराब समहू के ठेकेदार
जिले में शराब की बिक्री में अनियमितताओं और आबकारी विभाग की निष्क्रियता ने कई सवाल पैदा कर दिए हैं। क्यों कि जिस तरह से सिंगरौली जिले में शराब दुकानों पर अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से दोगुने दाम पर शराब बेची जा रही है। इसके बावजूद, आबकारी विभाग महंगी बिक रही शराब पर अंकुश लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। जनता अब आबकारी अधिकारियों से मांग कर रही है कि अगर उनमें थोड़ा भी ईमान बचा है, तो इस मनमानी पर रोक लगाई जाए। शराब ठेकेदारों और कुछ अधिकारियों के बीच सांठगांठ के चलते यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है। शराब लेने वाले व्यक्ति ने बताया कि “हम शराब खरीदने जाते हैं तो दुकानदार मनमाने दाम बताते हैं। अगर एमआरपी पूछो, तो कहते हैं ‘यही रेट है, लेना हो तो लो’। वही जब उनसे बिल मांगते हैं तो कहते हैं बिल नहीं है बिल का क्या करोगे। जहां चाहे वहां शिकायत करो हमारा कुछ नहीं होगा।
लोगो का कहना है कि जिले भर की सभी दुकानों का यही हल है आप कही भी किसी भी दुकान पे जाइये आप को सभी जगह रेट बढ़ा कर ही दिया जायेगा। ये सभी शराब समूह के ठेकेदार एक साथ यूनियन बना कर जिले वाशियो और सूरा प्रेमियों को लूट रहे है।
क्या कहता है कानून?
मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम के तहत शराब एमआरपी से अधिक मूल्य पर बेचना अपराध की श्रेणी में आता है। यदि कोई दुकानदार ऐसा करता है, तो उस पर जुर्माना, लाइसेंस रद्द करने और जेल तक की कार्रवाई का प्रावधान है। बावजूद इसके सिंगरौली में नियमों की धज्जियाँ उड़ रही हैं।
प्रशासनिक चुप्पी कहीं बड़ा खेल तो नहीं?
जानकर मानते हैं कि इतनी बड़ी लापरवाही तभी संभव है जब भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हों। आबकारी विभाग की चुप्पी और शिकायतों के बावजूद कार्रवाई ना होना कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर भी संदेह उत्पन्न करता है। सिंगरौली जिले में शराब की ओवररेटिंग ना केवल उपभोक्ताओं के आर्थिक शोषण का मामला है, बल्कि यह प्रशासनिक निष्क्रियता और भ्रष्टाचार का भी आईना है। यदि जल्द ही इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो यह समस्या और भी विकराल रूप धारण कर सकती है।