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Singrauli News : लाइसेंस चाहिए तो ,दो गुनी फीस लेकर आना ! एजेंटों के जरिए चल रहा खेल

Rama Posted on: 2025-02-10 16:29:00 Viewer: 93 Comments: 0 Country: India City: Singrauli

Singrauli News : लाइसेंस चाहिए तो ,दो गुनी फीस लेकर आना ! एजेंटों के जरिए चल रहा खेल Singrauli News: If you want a license, bring double the fee! The game is going on through agents

- दलालों की गिरफ्त में आरटीओ दफ्तर l सरकारी फीस 1498 के बदले वसूले जा रहे 2800-3000 रुपए

Singrauli News : सिंगरौली। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के तमाम प्रयास सिगरौली जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय मे बत्ता साबित हो रहे है। हर कामकाज एजेंटों के मार्फत से हो रहा है। यहां तक कि शुल्क की दो तीन गुना राशि वसूली जा रही है। इसे लेकर आरटीओ की भूमिका भी संदेहास्पद नजर आ रही है।रोचक बात ये है की आरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने संबंधित सभी दिशा निर्देश का बोर्ड लगा हुआ है।साथ ही वहां संचालन के संकेत तथा सावधानियों के बारे में भी पूरी जानकारी अंकित है।बावजूद इसके आरटीओ कार्यालय के बाहर एजेंट अपनी अपनी दुकान खोलकर दलाली का काम कर रहें है।

सबका अपना-अपना रेट

आप को बता दे सिंगरौली मिरर की टीम ने शुक्रवार को लाइसेंस बनवाने के बारे में एजेंटों से राशि के सम्बंध में पूछताछ की तो अलग अलग राशि उभरकर आई किसी ने 2800 में किसी में 3000 रुपए मांगे। शासकीय शुल्क के बारे में पूछा तो टालमटोल करते दिखे। एजेंटों का कहना है की शुल्क के बारे में ऑफिस वाले ही बताएंगे। कुल मिलाकर एक भी एजेंट विभागीय शुल्क बताने को तैयार नहीं था।

ये है निर्धारित शुल्क

आरटीओं दप्तर से जानकारी मांगी तो पता चला कि दुपहिया व हल्के चार पहिया वहन के लिए लर्निंग लाइसेंस की फीस 424 तथा मह भर बाद लाइट (स्थाई) लाइ‌सेंस का शुल्क 1074 रुपए बताया गया। इस प्रकार एक लाइसेस लगभग 1498 रुपए में बन जाता है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन भी किया जा सकता है। लेकिन जब तक आप किसी एजेंट का सहारा नहीं लेते है आप का लाइसेंस नहीं बन पायेगा। ये हम नहीं कह रहे है बल्कि वहाँ उपस्थित लोग बता रहे थे कि सब एजेंटो के हाथ में ही है। अपने से कुछ नहीं होता है।

कौन है शुक्ला जी ?

एजेंटों का यह खेल शुक्ला जी के मार्फत खेला जाता है। आरटीओ सम्बंधी कोई भी काम हो शुक्ला जी के पास जाने को बोला जाता है। यहां तक कि किसे को कुछ लेना देना भी हो तो शुक्ला जी की शरण में जाने को कहा जाता है। आपको यह बताते चले कि शुक्ला जी कोई विभाग का कर्मचारी नहीं है, बल्कि एक एजेंट है। अन्य एजेंटों की तरह परिसर के बाहर में उसकी भी एक दुकान है। बताया जाता है कि विभाग के हर कामवाज में उसका दखल होता है।

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