UNICEF: Know its importance and purpose, today is UNICEF Day
हर साल 11 दिसंबर को यूनिसेफ दिवस मनाया जाता है। इस साल यूनिसेफ दिवस की 76 वीं वर्षगांठ है। यूनिसेफ (UNICEF) का पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (United Nations Children’s Emergency Fund) है। इसकी स्थापना 1946 में की गई थी। इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क , अमेरिका में है। इसका प्राथमिक उद्देश्य दुनिया भर के बच्चों को मानवीय सहायता प्रदान करना है।
यूनिसेफ दिवस मनाने का उद्देश्य
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1946 में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपत्कालीन कोष (United Nations Children’s Emergency Fund) यानी यूनिसेफ का गठन किया और इसी साल 11 दिसंबर को यूनिसेफ दिवस को मनाने की घोषणा गई। दुनियाभर के बच्चों के जीवन, स्वास्थ्य, शिक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करने एवं उनके बचपन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से यूनिसेफ दिवस मनाने की शुरुआत हुई। यूनिसेफ के साथ सेलिब्रिटी भी जुड़कर बच्चों की अच्छी देखभाल के लिए अपना योगदान देते हैं। इस दिन का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उन मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करना है जिन्होंने बच्चों के जीवन को मुश्किल बना दिया है। इसमें भोजन, स्वच्छ पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि की कमी शामिल है।
यूनिसेफ दिवस का इतिहास और महत्व
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जिन बच्चों का जीवन युद्ध से बर्बाद हो गया था। ऐसे बच्चें या किशोर जिनके जीवन और भविष्य जोखिम में थे, जो अनाथ थे या जिनके परिवार बच्चों के देख रेख करने में सक्षम नहीं थे उनके अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपत्कालीन कोष (United Nations Children’s Emergency Fund) यानी यूनिसेफ की स्थापना की गई। जिससे इन बच्चों या किशोरों के अच्छे भविष्य निर्माण किया जा सके। संयुक्त राष्ट्र का यह कार्यक्रम बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा एवं सामान्य कल्याण में सुधार करने पर केंद्रित है।
यूनिसेफ के कार्य
वर्तमान में यूनिसेफ का काम केवल युद्ध के बाद के पुनर्वास तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे रोग की रोकथाम और उचित टीकाकरण, एचआईवी रोग वाले बच्चों और माताओं के लिए उपचार, मातृ पोषण, स्वच्छता और स्वच्छता में सुधार, शिक्षा को बढ़ावा देने जैसे कई क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।
यूनिसेफ दिवस की इस साल की थीम
हर साल यूनिसेफ दिवस एक निश्चित थीम के साथ मनाया जाता है। इस बार की थीम Help children to recover है। कोरोना महामारी ने बच्चों के जीवन को भी प्रभावित किया है। कोरोना के दौरान और उसके बाद बच्चों के जीवन में हुए परिवर्तन, बच्चों के शिक्षा, जीवन और उनके सामाजिक विकास के उद्देश्य से यूनिसेफ दुनिया भर में लगातार काम कर रहा है। इसके यूनिसेफ समय समय पर नए नए कैंपेन भी चलता रहता है। इस वर्ष का विषय बच्चों को पिछले दो वर्षों में महामारी के माध्यम से अनुभव की गई रुकावट और सीखने के नुकसान से उबरने में मदद करना है।
यूनिसेफ और भारत
कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने शिक्षा मंत्रालय और यूनीसेफ के साथ मिलकर किशोरियों को वापस स्कूल लाने के लिये एक अभूतपूर्व अभियान ‘कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव’ का शुभारंभ किया। स्कूलों में 11-14 आयुवर्ग की लड़कियों का पंजीकरण बढ़ाना और उन्हें स्कूल में कायम रखना ही इस अभियान का उद्देश्य है। अभियान की शुरूआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की प्रमुख योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के तहत की जायेगी। इसका लक्ष्य स्कूल छोड़ने वाली चार लाख से अधिक किशोरियों को योजनाओं का लाभ देना है।
नीति आयोग और यूनिसेफ इंडिया ने बच्चों पर केन्द्रित सतत विकास लक्ष्य के सम्बन्ध में आशय वक्तव्य पर हस्ताक्षर किए: इसका उद्देश्य बच्चों से संबंधित महत्वपूर्ण सतत विकास लक्ष्य की पृष्ठभूमि में बच्चों की वर्त्तमान स्थिति का विश्लेषण करना है। यह प्रयास 2030 एजेंडा पर भारत की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में योगदान देगा तथा ‘कोई बच्चा छूट ना जाये’और बच्चों के समग्र विकास को हासिल करने के लिए सतत विकास लक्षयो की दिशा में प्रगति को तेज करने के लिए नीतिगत सिफारिशों का एक सेट प्रदान करेगा।
भारत में बच्चों के लिए प्रमुख योजनाएं
पोषण अभियान: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने देशभर में कुपोषण की समस्या को समाप्त करने के लिए पोषण अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य बच्चों ,गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं के पोषण संबंधी परिणामों में सुधार करना है। इसे राष्ट्रीय पोषण मिशन भी कहा जाता है। पोषण अभियान का उद्देश्य वर्ष 2022 तक “कुपोषण मुक्त भारत” का निर्माण करना है।
किशोरियों के लिए योजना : स्कूल छोड़ चुकी 11से 14 वर्ष की लड़कियों की बहु-आयामी जरूरतों को महसूस करते हुए और इन लड़कियों को वापस स्कूल जाने के लिए प्रेरित करने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य किशोरियों के लिए सुविधाजनक माहौल बनाना, उनको शिक्षा देना और अधिकार देना है। जिससे कि वे आत्म-निर्भर और सजग नागरिक बन सकें।
राष्ट्रीय बाल कोष : इसमे व्यक्तियों, संस्थानों, कॉर्पोरेट और अन्य लोगों से धन जुटाकर स्वैच्छिक एजेंसियों और राज्य सरकारों के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं, संकट और कठिन परिस्थितियों से प्रभावित बच्चों के लिए विभिन्न कार्यक्रमों को बढ़ावा देना और उन्हे आर्थिक मदद करना है।