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Singrauli News : कोतवाली क्षेत्र में जारी है सफ़ेद पत्थर का अवैध कारोबार

Rama Posted on: 2024-11-22 11:05:00 Viewer: 247 Comments: 0 Country: India City: Singrauli

Singrauli News : कोतवाली क्षेत्र में जारी है सफ़ेद पत्थर का अवैध कारोबार Singrauli News: Illegal business of white stone continues in the Kotwali area

आसपास के क्षेत्रों में माफिया सक्रिय, कार्रवाई न होने से बेखौफ चल रहा कारोबार

Singrauli News : कोतवाली थाना क्षेत्र में अवैध सफ़ेद पत्थर बोल्डरों का कारोबार जोरों पर है। इस कारोबार में लगे पत्थर चोर लाखो रुपये की कमाई कर रहे हैं। वन एवं ओबी से निकले पत्थर तोड़कर बाजार में बेचे जाने से जिले में वन एवं पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। बावजूद इसके प्रशासन इस पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। विदित हो कि इस धंधे में लगे लोग कल तक कमीशन पर लोगों को पत्थर उपलब्ध कराते थे। आज वे इस अवैध धंधे का लाभ उठा रहे है। रोजाना 5 से 10 ट्रैक्टर से सफ़ेद पत्थर बोल्डरों की ढुलाई की जा रही। जिले में वैढ़न थाना कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत माजन ,बिलौंजी ,वैढ़न के आसपास सफ़ेद पत्थर बोल्डरों बेचने का काम किया जाता है। कई स्थानों से पत्थर माफिया प्रतिदिन कई ट्रैक्टर पत्थर विभिन्न स्थानों के लिए ले जाते हैं। ये पत्थर नजदीकी ठेकेदारों के पास भी खपाए जाते हैं। इसका उपयोग सड़क निर्माण में उपयोग होने वाले पत्थर, घरों के लिए नींव एवं गिट्टी के रूप में होता है।

सुबह सुबह होती है बोल्डरों की ढुलाई
पत्थर चोरों द्वारा अवैध रूप से पत्थर ढोने का काम सुबह-सुबह किया जाता है। सूत्र बताते है कि यह अवैध कारोबार जिला खनिज विभाग, स्थानीय पुलिस व वन कर्मियों की मिलीभगत से होता है। पत्थर चोरों द्वारा इसके एवज में जिला खनिज विभाग, पुलिस व वन विभाग को बंधी बंधाई रकम दी जाती है। सेटिंग हो जाने के बाद चोर पत्थर की बेधड़क ढुलाई करते हैं। अवैध सफ़ेद पत्थर बोल्डरों के कारोबार में लगे पत्थर चोर आर्थिक रूप से मजबूत हो चुके हैं तथा राजनीतिक रूप से भी अपनी पहुंच बनाए हुए हैं। जिले के माजन क्षेत्र के ट्रैक्टर ऐसे अवैध कारोबार में संलिप्त है व खुलेआम सफ़ेद पत्थर बोल्डरों से भरे ट्रेक्टर को रवाना करवाते है। किसी भी स्थिति में फंसने पर इनके पैरवीकारों की लंबी कतार लग जाती है। इसलिए माइनिंग विभाग इन पर हाथ लगाने की बजाय, सांठ-गांठ बनाने मे ही अपनी भलाई समझते हैं।

इस सम्बन्ध में लोगों का कहना है कि प्रतिदिन वैढ़न सहित आस-पास के क्षेत्रों में अवैध उत्खनन कर ट्रेक्टरों और ट्रक आदि में खनन सामग्री ढोते वाहन बेखौफ होकर सड़कों पर दौड़ते नजर आ रहे हैं, जहां इन्हें रोकने के लिए न तो खनिज विभाग कोई कार्रवाई कर रहा है और न ही क्षेत्रीय पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई की जा रही है। बताया जाता है कि अवैध खनन का यह कारोबार नवानगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत एनसीएल अमलोरी व निगाही परियोजना खदान क्षेत्र, से हो रहा है। वहीं नाले में जमीं ओबी मिट्टी और बोल्डरों का भी धड़ल्ले से व्यापार करने में माफिया लगे हुए हैं।

नहीं है किसी का भय
यहां वाहनों के जरिए मिट्टी और बोल्डरों को ढो रहे माफिया अपनी सक्रियता लगातार बढ़ा रहे हैं और उन्हें किसी भी तरह का भय नहीं है। ऐसे में जहां शासन को राजस्व की भारी क्षति हो रही है वहीं ओबी से निकल रही मिट्टी कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। इस मामले में लोगों का कहना अवैध तरीके से चल रहे इस व्यापार की जानकारी संबंधित विभाग को जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस ओर न तो सुरक्षा विभाग कोई ध्यान दे रहा है और न ही खनन विभाग को इन मामलों से कोई लेना देना है। यहीं वजह है कि कार्रवाई न होने के कारण माफिया बेखौफ है और वे कही ट्रेक्टरों से तो कहीं अन्य वाहनों से मिट्टी और बोल्डरों को ढोने में लगे हुए हैं। लोगों ने बताया कि इन बोल्डरों का उपयोग समीपस्थ बस्तियों में किया जा रहा है जहां लोग घर की चारदीवारी बनाने के लिए सस्ते दामों पर इन माफियाओं से ओबी से निकलने वाले बोल्डर और मिट्टी खरीद रहे हैं।

कभी भी हो सकते है हादसे
सूत्रों की बातों पर गौर किया जाए तो माफियाओं के ओबी तक पहुंचने और वहां गरीब मजदूरों को लालच देकर में पत्थरों बोल्डर को निकलवाया जा रहा है। जहां थोड़े पैसों की लालच में ये गरीब ओबी से जब बोल्डर निकालते हैं तो ऊपर की ओबी के ढहने से उसकी चपेट में आ जाते हैं। यहां होने वाली घटनाओं को कुछ दिनों तक तो प्रबंधन और प्रशासन गंभीरता से लेता है, लेकिन उसके बाद फिर हालात पूर्व जैसे हो जाते हैं। इस मामले में आस-पास के गरीब मजदूर ही नहीं अपितु नाबालिग बच्चों को भी काम करते हुए देखा जा सकता है। इस मामले में लोगों का कहना है कि खनिज विभाग, वन विभाग और एनसीएल की चुप्पी संदेह को जन्म देने वाली है। लोगों का मानना है कि बोल्डर माफिया पर कार्रवाई न होने के पीछे कहीं अधिकारियों की मिलीभगत तो नहीं है, इसकी भी जांच होना चाहिए।

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