Singrauli Shaktinager News: Middlemen ate up jobs, people did not get rights
क्षेत्रीय दलालों का सिंडिकेट सक्रिय, बिना चढ़ावा के नहीं मिलेगी नौकरी
Singrauli Shaktinager News: शक्तिनगर, सोनभद्र। सोनभद्र-सिंगरौली सीमा पर बसे शक्तिनगर क्षेत्र के कोयला खदानों में संविदा रोजगार एक सुनहरा सपना बनकर रह गया है। एनसीएल (NCL) की खड़िया खदान सहित अन्य परियोजनाओं में आउटसोर्सिंग कंपनियों द्वारा किए जा रहे ओबी (ओवर बर्डन) कार्यों में स्थानीय विस्थापितों और प्रभावितों को समायोजित करने की बात केवल कागज़ों तक सीमित रह गई है।
बिना चढ़ावा, नहीं मिलेगा रोजगार
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, रोजगार पाने के लिए अब सिर्फ योग्यता या विस्थापन प्रमाण ही काफी नहीं हैं। अगर तथाकथित समाजसेवियों या क्षेत्रीय दलालों की ‘सिफारिशी मुहर’ न हो, तो नौकरी मिलना नामुमकिन सा हो गया है। हाल ही में खड़िया खदान क्षेत्र में रोजगार को लेकर उठे विवाद ने इस गोरखधंधे को पूरी तरह उजागर कर दिया है।
दलालों की चलती है सरकार जैसी हुकूमत
सूत्र बताते हैं कि कुछ स्वयंभू समाजसेवी और क्षेत्रीय दलाल खदान के प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रतिदिन बेरोकटोक प्रवेश करते हैं और अधिकारियों पर प्रभाव जमाते हैं। कहा जा रहा है कि कंपनियों में भर्ती के लिए एक “अनौपचारिक कर व्यवस्था” बन चुकी है, जिसमें बिना ‘चढ़ावे’ या दलाल की सिफारिश के किसी भी स्थानीय युवा को नौकरी नहीं मिलती।
स्थानीय लोग भटकते, बाहरी लोग बहाल
जिस विस्थापन और प्रभावितता की बुनियाद पर रोजगार देने की नीति बनाई गई थी, उसका सबसे बड़ा नुकसान वही लोग झेल रहे हैं। स्थानीय विस्थापित युवक दिन-रात चक्कर काटते हैं, लेकिन रोजगार पा रहे हैं वे, जिनकी पहुंच ऊपर तक है चाहे वे इस ज़मीन या क्षेत्र से कभी जुड़े ही न हों।
कंपनियों की चुप्पी पर भी सवाल
आउटसोर्सिंग कंपनियों की चुप्पी और स्थानीय प्रबंधन की अनदेखी, पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर रही है। जनता का भरोसा टूट रहा है और क्षेत्र में आक्रोश गहराता जा रहा है। जब तक रोजगार की प्रक्रिया पारदर्शी और दलाल-मुक्त नहीं होगी, तब तक स्थानीय जनता का हक़ मारा जाता रहेगा। प्रशासन और कंपनियों को चाहिए कि वे संविदा नियुक्तियों पर निगरानी रखें और सुनिश्चित करें कि विस्थापितों को उनका वाजिब अधिकार मिले बिना किसी बिचौलिए की बाधा के।