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Singrauli News: जिले में फिर शुरू हुआ बेखौफ कोयले में मिलावट का खेल

Rama Posted on: 2025-03-18 13:49:00 Viewer: 103 Comments: 0 Country: India City: Singrauli

Singrauli News: जिले में फिर शुरू हुआ बेखौफ कोयले में मिलावट का खेल Singrauli News: The game of adulteration of coal has started again in the district without any fear

सफेदपोशों के द्वारा सत्ता व रसूख के दम पर किया जा रहा काला कारोबार

Singrauli News: सिंगरौली। सिंगरौली जिला चारागाहों के लिए वर्षों से कुख्यात रहा है। यहां जो भी काम होता है वह चारागाही को ध्यान में रखकर होता है। मसलन अमुक धंधे में अथवा अमुक कार्य में कितना रूपया दो नंबर से कमाई होगी इसका आंकड़ा बैठाया जाता है और उसी हिसाब से समीकरण बनाकर काम किया जाता है। दो नंबर की कमाई के समीकरण की बात करें तो इन दिनों एक नंबर के कोयले में दो नंबर की छाई और भस्सी मिलाकर दो नंबर के कायेले को नंबर एक बनाकर कोयले पर आधारित विद्युत संयंत्रों को आपूर्ति किया जा रहा है। यह धंधा गत कई वर्षों से चर्चाओं में है। सोशल मीडिया में कभी डीएस कंपनी तो कभी गोदावरी नामक कंपनी का नाम उछलता रहा है। कोयले की इस मिलावटखोरी में सूत्रधारों की पकड़ काफी गहरी बतायी जाती है। जिला प्रशासन का जो कुछ भी प्रयास रहा हो लेकिन उससे मिलावटखोरों के मंशूबों पर कोई असर पड़ता नजर नहीं आया। प्रशासन की बयानबाजी अखबारों तक ही सीमित रह गयी।

फर्जी पेपर के सहारे हो रहा गोलमाल
सूत्र बताते है कि मोरवा रेलवे साइडिंग से हो रहा है कोयले का बड़ा खेल रेलवे और आरपीएफ की मिली भगत से प्राइवेट इंडेट लगाकर की जा रही है रैक से कोयले की भारी मात्रा में सप्लाई कमर्शियल बाबू और स्टेशन मास्टर की बड़ी भूमिका। वही सूत्र बताते है कि कई लाख टन अवैध कोयला रेलवे साइडिंग पर पड़ा है सबसे बड़ी बात यह है कि रेलवे प्रशासन के उच्च अधिकारियों को किया जा रहा है गुमराह पैसे के दम पर फर्जी पेपर बनाकर दो नंबर के कोयले को एक नंबर किया जा रहा है अगर इसकी जांच कराई जाए तो पता नहीं कितने लोगों का चेहरा सामने आएगा कुछ लोग ऐसे हैं कि उनका यही पेशा है सूत्र बताते है कि पहले भी इसी तरह की एक रैक मोरवा साइडिंग से लोड कर कर भेजी गई है अब इसका पेपर जो लगा है वह ओरिजिनल है की डुप्लीकेट यह तो जांच का विषय है सूत्रों की माने तो आजकल लंबी रकम देकर पेपर भी तैयार किया जा रहा है अब देखना है कि रेलवे प्रशासन और आरपीएफ के अधिकारी इसमें कितना एक्शन लेते हैं।

कमाई का जरिया बनी चारकोल व स्टोन डस्ट
कोयला की कालाबाजारी करने वाले माफिया इस अवैध धंधे से करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। कोयले में मिलावट और दस्तावेजों में हेराफेरी कर इसे आसपास की मंडियों में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है। इसके लिए जिले में संचालित क्रेशर प्लांटों से डस्ट और लोहे की फैक्ट्रियों से चारकोल लाकर कोयले में मिलाया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि सिंगरौली के गोदवाली, मोरवा और बरगवां रेलवे साइडिंग पर हजारों टन चारकोल व स्टोन डस्ट लाया जा रहा है। यह मिलावट का खेल कोल माफियाओं और अधिकारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इन रेलवे साइडिंग पर डस्ट का भंडारण आसानी से देखा जा सकता है।

सफेदपोश नेताओं के संलिप्तता की चर्चा
कोयले में हो रही इस मिलावट से न केवल सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि इससे पावर प्लांट्स की उत्पादन क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। बिजली उत्पादन कंपनियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। कोयले की गुणवत्ता खराब होने के कारण संयंत्रों में दक्षता कम हो रही है, जिससे बिजली उत्पादन लागत बढ़ रही है और उपभोक्ताओं को महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है। सूत्रों का कहना है कि इस अवैध धंधे में सफेदपोश नेताओं और उच्चाधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है। कोयले की कालाबाजारी करने वाले इन माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिससे इन पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती। खासकर, नेताओं की इस खेल में संलिप्तता की चर्चा भी जोरों पर है।

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