Singrauli News: Diesel coming from Mughal Sarai to Singrauli OB companies of MP
ओबी कंपनियां रोजाना लगा रही राज्य सरकार को लाखों की चपत
Singrauli News : सिंगरौली। एनसीएल परियोजनाओं में कार्यरत ओबी कंपनियां डीजल में ही मध्यप्रदेश सरकार को रोजाना तकरीबन 50 लाख रूपये राजस्व हानि पहुंचाने में कोई कोर कसर नही छोड़ रही है। इसमें कलिंगा एवं चड्ढ़ा कंपनी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। वही कलिंगा ओबी कंपनी के एक नही अन्य कई काले कारनामे सामने आ रहे हैं। जहां कुछ रोचक तथ्य चौकाने वाले हैं।
गौरतलब है कि एनसीएल के खदानों में कई ओबी कंपनियां डीजल की खरीदी उत्तरप्रदेश के मुगलसराय से कर रही है। यह बताते चले की मध्यप्रदेश सिंगरौली डीजल के कीमत यूपी के तुलना में 5 से 6 रूपये ज्यादा है। अधिकांश ओव्हर वर्डन कंपनियां यूपी से ही चोर के रास्ते से डीजल खदानों में खपा रहे हैं। जहां ओबी कंपनियों को एनसीएल से एमपी में तय डीजल कीमत के आधार पर भुगतान भी कर दिया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि ओबी कंपनियों डीजल के बिल बाउचर में खेला कर दे रहे हैं। इस पर एनसीएल प्रबंधन भी ध्यान नही दे रहा है। जबकि इस संबंध में कई बार एनसीएल प्रबंधन के यहां विभिन्न माध्यम से शिकायते भी की गई। इसके बावजूद एनसीएल प्रबंधन ने इस पर गंभीरता नही दिखाया। इतना ही नही जिले के जीएसटी टीम भी कुम्भकरणीय निद्रा में है। आरोप है कि जीएसटी टीम इस मामले में भी शिकायत पहुंचने के बावजूद ध्यान नही दे रही है। लिहाजा ओबी कंपनियां मध्यप्रदेश सरकार को एक अनुमान के मुताबिक प्रतिदिन करीब 40 से 50 लाख रूपये की राजस्व क्षति पहुंचाने में कोई कोर कसर बाकी नही रख रही है। डीजल के इस पूरे खेल एवं मध्यप्रदेश सरकार को राजस्व क्षति पहुंचाने में कलिंगा कामर्शियल कंपनी अमलोरी, झिंगुरदा एवं चड्ढ़ा कंपनी जयंत, पीसी पटेल कंपनी निगाही, कंडोई का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। वही कलिंगा कंपनी पर यह भी आरोप है कि जब अमलोरी में डीजल के लिए लायसेंस नही मिला था तो 17 मार्च के पहले उसका बिल एनसीएल ने कैसे पास कर दिया। यह अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब यह मामला धीरे-धीरे तूल पकड़ने लगा है। वही ओबी कंपनी कलिंगा के गतिविधियों को लेकर कई तरह के प्रश्रचिन्ह लगाया जा रहा है। फिलहाल ओबी कंपनी के द्वारा मध्यप्रदेश सरकार को डीजल के रूप में रोजाना लाखों रूपये की चपत पहुंचाते हुये राजस्व नुकसान कर रही है। वही जिला प्रशासन की मौन स्वीकृति पर तरह-तरह के चर्चाएं की जाने लगी हैं।
जिले का प्रशासन भी है मौन
यूपी से लगातार डीजल एनसीएल परियोजनाओं के ओबी कंपनियों में खपाया जा रहा है। इसकी कई बार शिकायते जिला प्रशासन के यहां कई बार की गई । लेकिन प्रशासन इस पर गंभीरता से नही ले रहा है। जबकि सूत्र बताते है कि जिला प्रशासन को भी इसके बारे में भलीभांति मालूम है। फिर भी ओबी कंपनियों पर कार्रवाई करने से गुरेज करते हैं। चर्चाएं यहा तक है कि जिले का नापतौल निरीक्षक से लेकर जिला खाद्य अधिकारी भी इस बारे में सब कुछ बेहतर तरीके से जानते हैं। किन्तु ओबी कंपनियों पर इनकी मेहरवानी लोगों के समझ से परे है और अब तक मध्यप्रदेश सरकार को कई करोड़ो रूपये राजस्व के रूप में चपत लगाने में उनकी संदिग्ध भूमिका को लोगबाग नकार नही रहे हैं। प्रबुद्धजनों का मानना है कि जिला प्रशासन इस मसले को कभी गंभीरता से लिया ही नही है। इसके पीछे एक नही अनेक कारण हैं।
एग्रीमेंट का पालन नही कर रही ओबी कंपनी
सूत्रों के मुताबिक ओबी कंपनी कलिंगा सहित अन्य कंपनी को एगीमेंट के समय निर्देश था कि डीजल की खरीदी नजदीकी फिलिंग स्टेशन रिटेलर सिंगरौली पेट्रोल पंप एंव भैरा पेट्रोल पंप निगाही से क्रय करें। एनआईटी के एगीमेंट में इस तरह का उल्लेख है। लेकिन कलिंगा ओबी कंपनी कंजूमर मुगल सराय यूपी से डीजल का क्रय कर परिवहन धड़ल्ले के साथ कर रहे हैं। इनपर पुलिस के साथ-साथ अन्य सरकारी तंत्र का संरक्षण मिला है। जिसके चलते यूपी के रास्ते से आने वाले उक्त डीजल टैंकरों पर पुलिस की निगाहें ओझल हो जाती है। हालांकि डीजल का यह खेल आज से नही कई वर्षों से चलता आ रहा है। ज्यादा शोर शराबा होने के बाद पुलिस कार्रवाई के नाम पर एकाध कोरमपूर्ति कर वाहवाही लूटती रहती है। पुलिस की इस तरह की वाहवाहियों को लोगबाग भलीभांति जानने एवं समझने लगे हैं।