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Singrauli News : मकरोहर ही नहीं चितरंगी की खदान भी बयां कर रही खनन में मनमानी

Rama Posted on: 2024-04-13 10:40:00 Viewer: 496 Comments: 0 Country: India City: Singrauli

Singrauli News : मकरोहर ही नहीं चितरंगी की खदान भी बयां कर रही खनन में मनमानी Singrauli News: Not only Makrohar but also Chitrangi mine is revealing the arbitrariness in mining.


ज़िले में कई क्रेशर खदाने बिना एनओसी के हो रही संचालित

Singrauli News : सिंगरौली. क्रेशर प्लांटों को पत्थर मुहैया कराने को लेकर खदानों की अंधाधुंध दोहन की कहानी केवल मकरोहर तक सीमित नहीं है। चितरंगी, बैढऩ व देवसर की खदानों का भी हाल कुछ ऐसा ही है। चितरंगी में बड़कुड़ की खदान भी खनन कारोबारियों की मनमानी को बयां करने के लिए पर्याप्त है। खनिज विभाग के अधिकारियों के साथ जिला प्रशासन की उदासीनता का आलम यह है कि खदानों में कारोबारी पानी निकलने तक खनन कर रहे हैं। मकरोहर की तरह ही चितरंगी की खदानों में न ही निर्धारित गहराई को ध्यान में रखा जा रहा है और न ही क्षेत्रफल का ख्याल। इधर, अधिकारी हैं कि माइनिंग प्लान होने का हवाला देकर जांच कराने और कार्रवाई करने से बच रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि खदानों में खनन की स्थिति की जांच कराई जाए तो कारोबारियों की मनमानी सामने आ जाएगी।

सिंगरौली जिले में संचालित होने वाले स्टोन क्रशर प्लांट भले ही क्रशर संचालकों की कमाई का जरिया है परंतु जिन क्षेत्रों में स्टोन क्रेशर संचालित हैं वहां पर्यावरणीय क्षति एवं जानमाल के नुकसान की आशंका के साथ में संचालित होने वाले इन प्रेशर पर खनिज विभाग सहित विभिन्न नियमों को दरकिनार कर क्रशर संचालक चांदी काट रहे हैं परंतु इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है यूं तो किसी भी कृषक प्लांट को संचालित करने के लिए सरकार के द्वारा नियमावली की एक लंबी चौड़ी लिस्ट है मगर मजाल है कि कोई भी क्रशर संचालक संबंधित नियमावली के नियमों का पालन करें जिन विभागों को इन पर नियमों के तहत कार्य करवाने का जिम्मा है आखिरकार वह विभाग क्रशर संचालकों पर मेहरबानी क्यों जता रहे हैं यह तो विभाग के लोग ही बता सकते हैं परंतु नियमों को दरकिनार कर यह क्रशर संचालक आसपास के क्षेत्र में रहने वाले रहवासियों सहित जानवरों के साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।

राजनीति में सक्रिय हैं ज्यादातर कारोबारी
स्टोन क्रेशर से लेकर खदानों में खनन तक के काम में ऐसे कारोबारी लगे हैं, राजनीति में सक्रिय हैं। यही वजह है अधिकारी मामले में हाथ डालने से पीछे हट रहे हैं। लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता क्रेशर व खनन के कारोबार में लगे हुए हैं।

सुप्त अवस्था में खनिज विभाग
जिले में संचालित होने वाले क्रशर प्लांट को लेकर खनिज विभाग के अपने कई दावे हैं खनिज विभाग की तरफ से यह दावा किया जाता रहा है कि जिले में संचालित होने वाली विभिन्न गतिविधियों पर प्रशासनिक नजर बनी हुई है परंतु विभाग की अदा भी उस समय खोखले साबित होने लगते हैं जब इन खदानों को वास्तविक रूप में देखा जाता है नियम तो कहते हैं कि कोई भी क्रेशर मुख्य मार्ग सहित घनी आबादी वाले क्षेत्रों में विभिन्न नियमों के तहत संचालित किया जाना है जबकि वास्तविकता तो यह है कि क्रेशर संचालकों को नियमों को शिथिल करते हुए चलाने की अनुमति प्रदान कर दी जाती है आज यह क्रशर संचालक कमाई करने की चाह में क्रेशर खदानों की गहराई सैकड़ों मीटर तक करने से भी नहीं चूक रहे हैं जिन क्रशर संचालकों को खदान एरिया के चारों तरफ सुरक्षा व्यवस्था सहित पत्थरों को क्रश करने की प्रक्रिया में स्प्रिंकलर का यूज करना था वह इसका प्रयोग ही नहीं करते हैं जिससे कि क्रशर प्लांट में काम करने वाले मजदूरों सहित आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ मौजूद खेती पर भी इसका असर दिखाई देने लगा है संबंधित मामलों की शिकायत जिले के जिम्मेदार अधिकारियों तक रहवासी कई बार कर चुके हैं परंतु शिकायत के बावजूद भी प्रशासनिक अमला अंजान बने बैठा हुआ है। ऐसा ही नहीं है कि सिर्फ आमजन की शिकायत ही एकमात्र प्रशासनिक अमले के पास में पहुंची हो कई बार जिले में मौजूद मीडिया संस्थान के द्वारा भी इस मुद्दे को उठाया जा चुका है फिर भी इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है ऐसे में विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की कर्तव्यनिष्ठा पर भी सवालिया निशान खड़ा हो रहा है।

नियमों को दरकिनार करने की कीमत चुका रही आम जनता

सिंगरौली जिले के विभिन्न हिस्सों में मौजूद सैकड़ों क्रशर बेधड़क संचालित हैं मौजूद क्रशर प्लांट में नियमों की अनदेखी सुरक्षा व्यवस्था को नजरअंदाज करने की कीमत क्षेत्रवासियों को चुकानी पड़ रही है आलम तो यह है कि सुरक्षा व्यवस्था नदारद होने के कारण गहरी पत्थर की खदानों में दुर्घटना की आशंका बनी होती है तो वहीं दूसरी तरफ जिले में ऐसे भी बहुत सी पत्थर की खदानें हैं जहां पर पत्थरों को निकाल लिया गया है वहीं दूसरी तरफ इन खदानों में अब खुदाई का काम भी बंद कर दिया गया एवं खदानें खुली तौर पर यूं ही छोड़ दी गई खुली खदानों में खनिज विभाग अमला नहीं पहुंच पाया है एवं लगातार खदानों की गहराई जिस कदर बढ़ती जा रही है उससे तो सिर्फ यही प्रतीत होता है कि क्रशर प्लांट को संचालित करने वाले संचालकों के द्वारा नियमों की अनदेखी कर अंधाधुध पत्थर निकालने का कार्य हो रहा है मगर विभागीय अमला खदानों का रुख नहीं कर रहा है जिससे कि क्रशर संचालकों की मनमानी पर रोकथाम नहीं लग पा रहा। जैसा कि सभी को ज्ञात है कि सिंगरौली जिला एक क्रिटिकल प्रदूषण जोन में आता है लगातार क्षेत्र में फैले प्रदूषण के कारण प्रदेश ही नहीं दिल्ली तक सिंगरौली के प्रदूषण की खबरें कई बार उठी है कोरम पूरा करने के लिए प्रदूषण विभाग सहित जिला प्रशासन आमला महल दिवाली के समय पटाखों पर रोक लगाकर प्रदूषण कम करने की पहल जरूर कर देता है पर वास्तविकता में कार्य यूं ही चलता रहता है अब इसे महज कोरम पूर्ति करें या फिर विभागीय उदासीनता।

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