Singrauli News: Connivance of white people in illegal sand business in Chitrangi
Singrauli News : सिंगरौली। सिंगरौली जिले का विकासखण्ड चितरंगी रेत की कालाबाजारी के लिए वर्षों से कुख्यात रहा है। घड़ियालों के जीवन की रक्षा के निमित्त सोन नदी के प्रमुख क्षेत्रों में रेत की निकासी पर वर्षों से सरकारी प्रतिबंध लगा हुआ है। लेकिन प्रतिबंध के बावजूद वर्षों से मशीन लगाकर रेत का उत्खनन किया जा रहा है तथा उसका भण्डारण भी किया जा रहा है। कई जगह भारी मात्रा में रेत के भण्डारण पर जिले के खनिज विभाग की निगाह नहीं पड़ती है और ना ही जिला प्रशासन के आला अधिकारी ही करोड़ो के इस अवैध गोरखधंधे पर अब तक लगाम लगाने में कामयाब हुये हैं।
गत दिनों भारतीय जनता पार्टी के एक पूर्व पदाधिकारी तथा अन्य सुविज्ञ सूत्र बताते हैं कि रेत की कालाबाजारी में सरहंगों के साथ अब तक पुलिस की भागीदारी तो रही ही है। लेकिन अब सत्ताधारी पार्टी के कतिपय सफेदपाशों के निहीत स्वार्थ के चलते रेत की कालाबाजारी को हवा दी जा रही है। अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर भाजपा के पूर्व पदाधिकारी ने बताया कि पहले रेत की निकासी पर प्रति डंफर दस हजार रूपये लिये जाते थे पर अब प्रदेश में नई सरकार कि पदारूढ़ होने के बाद सुविधा शुल्क की वह कीमत बढ़कर तीस हजार रूपये हो गयी है। जो लोग इस धंधे में नीचे से ऊपर तक संलग्न हैं। उनमें बढ़े हुये सुविधा शुल्क को लेकर असंतोष की बात चर्चा का विषय बनी हुयी है।
रेत के कालाबारी का धंधा बंद हो इसपर न तो जिला प्रशासन न ही सरकार के नुमाइंदों की अब तक कोई पहल हुयी है। बल्कि घर बैठे मिलते हुये सुविधा शुल्क को ध्यान में रखकर चुप्पी साध ली गयी है। खबर तो यहां तक है कि यदि कोई विरोध करता है तो पुलिस के द्वारा उसे प्रताड़ित किया जाता है। बिना कारण के 151 की धारा लगाकर उसे थाने में बंद किया जाता है। फिर उसे एसडीएम कोर्ट की पेशी में दौड़ना पड़ता है। कहते हैं कि भ्रष्टाचार के विरोध में आवाज वहीं बुलंद कर सकता है। जिस मुंह में निवाला न हो। यह बात पूरे जिले में चल रहे अवैध कारोबार शत प्रतिशत लागू होती है। जनता ने जिसे चुनकर भेजा है और जो लोग सत्तारूढ़ पार्टी के पदाधिकारी बन करके जनसेवा की बात करते हैं उन्हें अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए।