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Udhampur Encounter : बसंतगढ़ में 14 महीनों में छह मुठभेड़, तीन जवान

Rama Posted on: 2025-06-27 13:00:00 Viewer: 48 Comments: 0 Country: India City: Udhampur

Udhampur Encounter : बसंतगढ़ में 14 महीनों में छह मुठभेड़, तीन जवान Udhampur Encounter: Six encounters in Basantgarh in 14 months, three soldiers

हुए बलिदान, आतंक के खिलाफ 33 सर्च ऑपरेशन

Udhampur Encounter : पिछले 14 महीनों में उधमपुर के बसंतगढ़ क्षेत्र में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच छह मुठभेड़ें हुईं, जिनमें तीन जवान वीरगति को प्राप्त हुए। इस दौरान आतंकवाद के खिलाफ 33 सर्च ऑपरेशन सेना, सीआरपीएफ, एसओजी और पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से चलाए गए।उधमपुर जिले के बसंतगढ़ इलाके में पिछले 14 महीनों के दौरान आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच छह मुठभेड़ हुई हैं। इन सभी मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के तीन जवान बलिदान हुए हैं। 24 अप्रैल, 2025 को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सेना का जवान, 28 अप्रैल, 2024 को वीडीजी बलिदान, 19 अगस्त, 2024 को सीआरपीएफ का एक जवान मुठभेड़ में बलिदान हुआ था।

इसके अलावा छह और 11 अगस्त, 2024, 11 सितंबर, 2024 को भी आतंकियों से मुठभेड़ हुईं। इस क्षेत्र में 14 माह में आतंकियों की तलाश में 33 बार सर्च ऑपरेशन चलाए गए। यह ऑपरेशन सेना, सीआरपीएफ, एसओजी और पुलिस ने मिलकर चलाए हैं।

बसंतगढ़ में सक्रिय आतंकी पूर्ण प्रशिक्षित, बार-बार चकमा देकर हो रहे फरार
उधमपुर के बसंतगढ़ में घेरे गए आतंकी पाकिस्तान के हैं। जैश-ए मोहम्मद आतंकी संगठन के ये आतंकी बहुत ही प्रशिक्षित हैं, जो जंगल में रहने, नदी-नाले मिनटों में पार करने में माहिर हैं। यही कारण है कि ये लंबे समय से इलाके में सक्रिय हैं। बार-बार मुठभेड़ होने के बावजूद ये सुरक्षाबलों को चकमा देकर भाग जाते हैं।

इन आतंकियों के सांबा-कठुआ बाॅर्डर से डेढ़ वर्ष पहले घुसपैठ करने की आशंका है। इसके बाद ये उधमपुर बसंतगढ़ क्षेत्र में पहुंच गए। तब से ही यह आतंकी सक्रिय हैं और समय-समय पर इनका सुरक्षाबलों से आमना-सामना हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने अपने लिए पूरे क्षेत्र में एक बड़ा नेटवर्क बना रखा है।

ऐसी जगह ठिकानों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, जिन पर किसी की नजर नहीं जाती। जांच एजेंसियों को ये भी शक है कि इन आतंकियों को स्थानीय स्तर पर ही रसद, आश्रय और अन्य सामान मुहैया करवाया जा रहा है। तभी ये इतने लंबे समय से इलाके में सक्रिय हैं। ये आतंकी स्थानीय स्तर पर रसद के लिए मददगारों से सीधा संपर्क नहीं करते। इनके लिए काम करने वाले ओजी वर्करों का पता लगाने के लिए भी खुफिया एजेंसियां जोर लगा रही हैं।

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