Singrauli News: The game of adulteration in coal continues unabated, the then SP had shut down the black business
सफ़ेद पोश नेता के संरक्षण में चल रहा कोयले में मिलावट का खेल
Singrauli News: सिंगरौली जिले के बरगवां, मोरवा, गोंदवाली कोल यार्ड में कोयले की डंपिंग यार्ड में जिस तरह से कोयले में मिलावट का खेल किया जा रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। आये दिन समाचार पत्र के माध्यम से सभी को इसकी जानकारी है लेकिन आज तक कोई भी नहीं हुई कार्रवाई। जिस तरह से इसमें मिलावट कर बेहतर क्वालटी का कोयला अलग कर उसे बाहरी बाजार में बेंचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा रहा है जबकि बचे काेयले में भस्सी, कोल डस्ट का उपयोग कर उसे निश्चित मांग के अनुरूप वहां बेचकर लाखों रूपयें रोजाना कमाया जा रहा है और ये सब ऐसे ही नहीं हो रहा है बल्कि एक जिलास्तरीय ने जी के संरक्षण में कार्य कर रहे गुप्ता जी के संरक्षण में ये सब हो रहा है। प्रशासनिक के होते हुए अगर इस तरह की मिलावट का खेल चल रहा है तो उनकी भी इसमें मौन स्वीकृृति ही है। इसमें सफेदपोशधारी भी संलिप्त है नहीं तो इतने बड़े स्तर पर मिलावट का खेल कर पाना संभव नहीं है। हलांकि ये खेल कई महीनों से चल रहा है लेकिन जिस तरह से अच्छे क्वालटी का कोयला निकालकर उसमें थर्ड क्वालटी के रूप में भस्सी व चारकोल मिलाने का कार्य चल रहा है इससे तो यह साफ हो रहा है कि यहां सब कुछ पैसा ही है चाहे वह किसी स्तर से आये बस प्रोफिट होने चाहिए। गुप्ता जी की मेहरबानी भी कम नहीं है जिस तरह से यहां मिलावट का खेल चल रहा है वह भी केवल प्रोफिट कमाने का तरीका बेहतरीन है। खैर इसमें जो भी हो लेकिन कोल साइडिंग में मिलावट का खेल बदस्तूर जारी है और आने वाले दिनों में भी इसमें कम हाने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोयले में मिलावट का खेल बिना किसी रुकावट के जारी है। आप को बता दे रेनूकोट के पांडेय जी ने लगातार रामगढ़ से छाई मागवाकर कोयले में मिलावट का खेल कर रहे है। सूत्र बताते हैं कि मिलावट खोरी का यह पूरा खेल करोड़ के आसपास की एक लंबी डील के साथ में हो रहा है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोयले में मिलावट का यह खेल कितने व्यापक स्तर पर फैल चुका है।
तत्कालीन एसपी ने बंद करा दिया था मिलावट का कारोबार
आपको बता दें पूर्व में रही एसपी निवेदिता गुप्ता ने अपने कार्यकाल के दौरान कोयला माफियाओ की हालत खराब कर दिया था उनके कार्यकाल के दौरान जिले में एक भी गाड़ी छाई (चारकोल) का आना मुश्किल कर दिया था जिससे कोल माफिया परेशानी में अपने कारोबार को चला रहे थे। और कोल माफिया दबी में कभी कभार स्टोन डस्ट से मिलावट कर के अपने कार्य को कर रहे थे लेकिन तत्कालीन एसपी निवेदिता गुप्ता के सख्त निर्देश और उनके निगरानी को देखते हुए माफियाओं की कोयले में मिलावट करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।
लेकिन हम बात करें आज की स्थिति की तो माफिया खुलकर मिलावट के कारोबार को तेजी से बढ़ाते जा रहे हैं इससे यह साफ जाहिर होता है कि कहीं ना कहीं इसमें प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध है आज कई महीनो से कई प्रिंट मीडिया अपने अखबार में मिलावट के कारोबार के धंधे की खबर को प्रकाशित कर प्रशासन और जनता के सामने रख रहे हैं लेकिन प्रशासन आज तक कोई भी कार्रवाई करने की हिमाकत नहीं जुटा पा रहा है।
लोगों की माने तो कोयला मिलावट के कारोबार में प्रदेश स्तर के नेता के संरक्षण में मिलावट के कारोबार को आगे बढ़ाने वाला जिला स्तरीय नेता आज अपनी पकड़ इस कदर बना बैठा है कि अब वह अपने इशारों पर जिले के शासन प्रशासन को चला रहा है जिसके सामने यहां की प्रशासन भी बौनी नजर आ रही है अगर इस मिलावट के कारोबार में प्रशासन सही से जांच करें तो कई बड़े चेहरे उजागर हो सकते हैं।
कोल यार्ड के रेलवे साइडिग पर हो रहा खेल
देश में कोयले की बढ़ी मांग को देखते हुए कोल माफिया ऊर्जांचल में काफी सक्रिय है। लोहा फैक्ट्री का चूर्ण-कचरा (चारकोल) को भारी मात्रा में बाहर से लाकर कोयले में मिलावट कर दूर-दराज के तापीय परियोजनाओं में रेल मार्ग से भेजा जा रहा है। सिंगरौली जिले के अंतर्गत बरगवां व मोरवा रेलवे साइडिग पर हजारों टन चारकोल आ रहा है। जिसे कोयला में मिलाकर रेलवे रैक में लोड कर प्रेषण किया जा रहा है। ट्रांसपोर्टर उत्तम कोयला छांटकर मंडी में बिक्री के लिए भेज देते हैं। उसकी जगह पर चारकोल मिलाकर उद्योगों को प्रेषित कर रहे हैं। इस अवैध कारोबार पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए कोई विभाग पहल नहीं कर रहा है।
इन कंपनियों पर लग रहे मिलावट के आरोप
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गोदावरी और प्रापक कोल कंपनियों पर विशेष रूप से कोयले में मिलावट का आरोप लगाया जा रहा है। इन कंपनियों पर बरगवां, और मोरवा रेलवे साइडिंग पर मिलावटी कोयला मालगाड़ियों में लोडिंग कराने का आरोप है। आरोप है कि झारखड के रामगढ़ से चारकोल व क्रेशर प्लांटों से स्टोन डस्ट लाकर कोयले में मिलाया जा रहा है, जिससे सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। काफी अर्से से चल रहा गोरखकार्य और मिलावट का यह खेल जारी है।