Singrauli News: The existence of forests in the energy capital is under threat, industrial units have taken away greenery
गायब होती हरियाली से खड़े हो रहे हैं सवाल, जिले में चारों तरफ प्रदूषण ही प्रदूषण
Singrauli News: सिंगरौली। पूर्व में कुछ समय पहले जहां सिंगरौली जिले के अधिकतर हिस्सों में घने वन हुआ करते थे आज उन वनों का अस्तित्व समाप्त होता दिखाई पड़ रहा है जिले में तेजी से बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण वनों की कटाई के कारण घनघोर वृक्षों से घिरे इस जिले में आज वृक्षों की संख्या तेजी से कम हुई है और इसके साथ ही वनों का दायरा भी कम हो गया है। मध्य प्रदेश सरकार सिंगरौली जिले की कल्पना करती है, जो उत्तर प्रदेश के साथ साझा की जाने वाली कोयला पट्टी का एक हिस्सा है, जिसे मध्य भारत के सिंगापुर के रूप में देखा जाता है। लेकिन इस क्षेत्र में कोयला आधारित थर्मल पावर परियोजनाओं को स्थापित करने के लिए बिजली कंपनियों के बीच होड़ के कारण इस क्षेत्र में पर्यावरण की सुरक्षा पीछे छूट गई है। इतना ही नहीं इन जंगलों में विचरण करने वाले जंगली जानवरों सिंगरौली जिले के सीमावर्ती छत्तीसगढ़ जंगलों की तरफ रुख कर चुके हैं एवं कई घटनाएं भी ऐसे निकल के सामने आ चुके हैं जिसमें की जंगली जानवरों के द्वारा ग्रामीणों पर हमला किया जा चुका है जंगलों की अंधाधुंध कटाई के कारण जंगली जानवरों का प्राकृतिक आवास नष्ट किया जा रहा है जिसके फलस्वरूप या जानवर अब जंगलों से भोजन की तलाश में गांव की तरफ अपना रुख करते दिखाई पड़ते हैं।
औद्योगिक इकाइयों ने छीन ली हरियाली
मध्य प्रदेश की ऊर्जाधानी कहीं जाने वाले सिंगरौली जिले को अधिकतर लोग ऊर्जा धानी के नाम से जानते हैं एवं ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में सिंगरौली अग्रणी जिला है यहां से उत्पन्न हुई ऊर्जा देश के विभिन्न राज्यों में प्रदान की जाती है देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने वाला सिंगरौली बढ़-चढ़कर ऊर्जा के क्षेत्र में नाम कमा रहा है लगभग डेढ़ दशक पहले सिंगरौली जिला अपने अस्तित्व में आने के बाद कई औद्योगिक इकाइयों को अपने अंदर समां चुका है जिले में बढ़ती औद्योगिक एवं गतिविधियों के कारण जंगल के क्षेत्रों मैं स्थित वृक्षों की कटाई के कारण जो वह में एक समय पर अपने अंदर हरियाली समेटे हुई थी आज वहां पर धूल डस्ट एवं विरान इलाका हो चुका है जिला मुख्यालय सहित आसपास के विभिन्न क्षेत्रों में आज कई दर्जन औद्योगिक इकाइयां स्थापित है कोयला उत्पादन के लिए ओपन कास्ट माइनिंग विधि से कोयले का उत्पादन लगातार किया जा रहा है एवं कोयला निकालने के लिए स्थित वृक्षों की बलि दी जा रही है क्षेत्र में अन्य कई कोयला इकाइयों की स्थापना के लिए अभी भी भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई चल रही है जिले में औद्योगिक इकाई में तो स्थापित हो जाती हैं परंतु पर्यावरण संतुलन को लेकर दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन किस कदर कंपनियों के द्वारा किया जा रहा है यह भी किसी से छुपा नहीं है हां यह बात अलग है कि हर साल पर्यावरण दिवस के अवसर पर नाम मात्र के पौधे जरूर लगाए जाते हैं।
वृक्षों की संख्या में कमी से बढ़ रहा प्रदूषण
सिंगरौली जिले की वायु गुणवत्ता को लेकर समय-समय पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा भी दिशा-निर्देश जारी कर पर्यावरण के प्रति सचेत किया जाता रहा है सिंगरौली जिले के प्रदूषण का हाल जिले से लेकर दिल्ली तक के जानकारों को बखूबी पता है लगातार जिले में बढ़ते प्रदूषण के कारण एक तरफ आम जनमानस में हाहाकार मचा हुआ है तो वहीं दूसरी तरफ औद्योगिक इकाइयों के पर्यावरण विभाग सहित जिले में स्थापित वन विभाग हमले सहित क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के इस पूरे मामले पर चुप्पी समझ से परे है सिंगरौली जिले के हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं परंतु जिम्मेदारों ने अभी भी बढ़ते प्रदूषण से कोई भी सबक नहीं लिया है बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए ही नहीं जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र में वृक्षारोपण जैसे अभियान को गंभीरता के साथ पूरा नहीं किया जा रहा है और शायद उसी का परिणाम है कि आज जिले में वनों की संख्या में बेहद कमी देखी जा रही है और प्रदूषण का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा।
वन विभाग की जमीन पर हो रहा अवैध कब्जा
सिंगरौली जिले में जिले की स्थापना से पूर्व 80 के दशक में जब औद्योगिक इकाइयों की शुरुआत हुई थी उस समय सिंगरौली जिले का परिवेश बेहद बदला हुआ था एक तरफ जहां प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण इस धरती पर घनघोर जंगल हुआ करते थे तो वहीं औद्योगिक इकाइयों के लगातार उत्पादन को लेकर वनों की आहुति दे दी गई इतना ही नहीं औद्योगिक इकाइयों ने एक तरफ जहां जंगलों को तो नष्ट किया ही तो वहीं दूसरी तरफ है आज जंगल विभाग की भूमि को भूमि माफिया के द्वारा भी कब्जा करने के चक्कर में वृक्षों की कटाई कर वन भूमि को कब्जे में ले लिया है इसकी पुष्टि हम नहीं कर रहे हैं बल्कि इस संबंधित मामले को लेकर ग्रामीणों के द्वारा वन विभाग के अधिकारियों को बाकायदा लिखित शिकायत की जा चुकी है अब शिकायत मिलने के बाद भी वन विभाग के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं जो कि विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा करता है आखिरकार किसी मामले की शिकायत के बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पूरे मामले की सुध क्यों नहीं ली। औद्योगिक इकाइयों एवं भू माफियाओं के द्वारा हरियाली को लगातार छीना जा रहा है ऐसे में समय रहते अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाला समय सिंगरौली जिले के विभिन्न जगहों से कई वनों का अस्तित्व मिट जाएगा।