Singrauli News: Now we will not remain anonymous, every caste should demand its identity: Sunil Jaiswal
जातिगत जनगणना पर केंद्र की पहल स्वागत योग्य, लेकिन संपूर्ण प्रतिनिधित्व और हकदारी की लड़ाई अभी अधूरा: सुनील जायसवाल
Singrauli News: देशभर में लंबे समय से उठ रही जातिगत जनगणना की माँग को लेकर केंद्र में मोदी सरकार द्वारा उठाया गया पहला कदम स्वागत योग्य है वहीं अब नई उम्मीदें जगा रहा है। इस दिशा में मिली हाल में सफलता को सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत वर्गों के वर्षों की मेहनत और जनआंदोलनों की जीत के रूप में देखा जा रहा है। इस पहल को लेकर ओबीसी नेता सुनील कुमार जायसवाल राष्ट्रीय अध्यक्ष ओबीसी महासंघ ने केंद्र सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए स्पष्ट किया कि यह केवल पहला कदम है, और संघर्ष की राह अब भी बाकी है। उन्होंने कहा, जातिगत जनगणना को लेकर सरकार की पहल निश्चित रूप से प्रशंसनीय है, लेकिन हमारी मांग केवल आँकड़ों तक सीमित नहीं है। यह प्रतिनिधित्व, संसाधनों की न्यायसंगत हिस्सेदारी और सामाजिक संतुलन के लिए एक निर्णायक लड़ाई है।
जायसवाल ने आगे कहा कि जब तक जातिगत आधार परसमूची जनसंख्या का आंकलन कर उसे सरकारी नीतियों और योजनाओं का आधार नहीं बनाया जाता और लोकसभा, विधानसभाओं और न्याय पालिकाओं कार्य पालिकाओं में प्रतिनिधित्व नहीं मिल जाता,तब तक यह आंदोलन रुकेगा नहीं। उनका कहना है कि यह केवल सामाजिक आँकड़ों की माँग नहीं है, बल्कि संविधान प्रदत्त समानता और न्याय के अधिकार को व्यवहारिक धरातल पर उतारने की कोशिश है। उन्होंने देशभर के सामाजिक संगठनों, छात्रों-युवाओं और अन्य न्यायप्रिय नागरिकों से अपील कर रहें हैं कि वे इस आंदोलन को और अधिक संगठित, प्रभावशाली और जनभागीदारीपूर्ण बनाएं।
सुनील कुमार ने यह भी कहा कि जातिगत जनगणना से न केवल समाज में पारदर्शिता बढेगी, बल्कि इससे नीति निर्धारण की प्रक्रिया अधिक समावेशी और न्यायसंगत हो सकेगी। उन्होंने इसे सामाजिक बदलाव की दिशा में एक ऐतिहासिक क्षण बताया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि इसे मुकम्मल मंजिल तक पहुँचाना अब भी बाकी है।
उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे आंदोलनों, रैलियों और जनसभाओं से यह स्पष्ट है कि यह विषय अब केवल राजनीतिक विमर्श का हिस्सा नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक चेतना का केंद्र बन चुका है।यह वक्त रुकने का नहीं, बल्कि और मज़बूती से आगे बढ़ने का है।