Singrauli News: How many passengers in an auto, tell the traffic in-charge?
फ़ोटो में दिख रहे सभी लोग इस ऑटो के है सवारी, लचर व्यवस्था से ज़िले में आये दिन हो रही दुर्घटनाये
Singrauli News: सिंगरौली। जिले की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई नजर आ रही है। ट्रैफिक नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और जिम्मेदार अधिकारी, विशेषकर यातायात थाना प्रभारी, इन गंभीर मुद्दों पर आंख मूंदे बैठे हैं। दरअसल, सिंगरौली जिले में नो एंट्री और ओवरलोडिंग जैसे मामलों में जिस प्रकार से ऑटो वाहन नियमों को ताक पर रखकर बेधड़क दौड़ रहे हैं, वह एक बड़े हादसे को दावत दे रहे हैं। एक ऑटो में नियम के अनुसार अधिकतम 6 यात्रियों (चालक सहित) की अनुमति होती है, लेकिन जिले के अलग-अलग हिस्सों खासकर बैढ़न कोतवाली थाना क्षेत्र और यातायात थाना के बीच से होकर गुजरने वाले मार्गों पर एक ऑटो में 10 से 15 सवारी ठूंस-ठूंस कर बैठाई जा रही हैं।
बीते दिन जयंत की ओर जा रही एक सवारियों से भरी ओवरलोड ऑटो बैढ़न मार्ग से गुजरी, जो न केवल नो एंट्री की अवहेलना कर रही थी, बल्कि उसमें क्षमता से दोगुना अधिक सवारी बैठाई गई थी। बावजूद इसके न तो यातायात थाना प्रभारी की नजर इस पर पड़ी और न ही किसी अन्य ट्रैफिक जवान ने वाहन को रोककर कार्रवाई करना जरूरी समझा।
खामोश अधिकारी, बढ़ते खतरे
सवाल उठता है कि क्या यातायात थाना प्रभारी को इन नियमों की जानकारी नहीं है या फिर ये सब 'मौन स्वीकृति' के तहत हो रहा है? जानकारों की मानें तो जिले में चल रहे कई अवैध ऑटो वाहन और ओवरलोड ट्रैफिक पर नकेल कसने के बजाय उन्हें मौन संरक्षण दिया जा रहा है। चर्चा तो यहां तक है कि अवैध वाहनों के संचालन में कुछ "कारखास" से लेकर संबंधित थाना तक की मिलीभगत है, जिससे सब कुछ जानते हुए भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।
बिना नंबर प्लेट और नाबालिग चालक – मौत को दावत
जिले में न केवल ओवरलोडिंग की समस्या है, बल्कि बड़ी संख्या में बिना नंबर प्लेट की गाड़ियां और ट्रैक्टर भी सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर नाबालिग लड़कों को वाहन चलाते हुए आए दिन देखा जा सकता है। यह सीधे-सीधे मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर जिम्मेदार विभाग केवल खानापूर्ति करता नजर आता है।
राहगीर परेशान, प्रशासन मौन
स्थानीय नागरिकों में इस लचर व्यवस्था को लेकर जबरदस्त आक्रोश है। कई सामाजिक संगठनों ने भी ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग उठाई है, लेकिन अब तक न तो कोई ठोस अभियान चलाया गया है और न ही ट्रैफिक सुधार को लेकर कोई सार्वजनिक कार्ययोजना सामने आई है। सिंगरौली जिले में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से भगवान भरोसे चल रही है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में बड़े सड़क हादसे होना तय है। जरूरत है कि जिला प्रशासन और यातायात विभाग इस विषय को गंभीरता से लेते हुए ऑटो और अन्य वाहनों की नियमित जांच करें, नियमों का सख्ती से पालन कराएं और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें। प्रश्न बना हुआ है जब एक ऑटो में 6 सवारी की अनुमति है, तो 12 से 15 सवारी लेकर दौड़ती गाड़ियां किसके इशारे पर चल रही हैं?