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Iran-Israel conflict: मध्य-पूर्व तनाव के बावजूद भारत में नहीं होगी ईंधन आपूर्ति की कमी : हरदीप पुरी

Rama Posted on: 2025-06-23 11:49:00 Viewer: 62 Comments: 0 Country: Iran City: Kongan

Iran-Israel conflict: मध्य-पूर्व तनाव के बावजूद भारत में नहीं होगी ईंधन आपूर्ति की कमी : हरदीप पुरी Iran-Israel conflict: Despite Middle East tensions, there will be no shortage of fuel supply in India: Hardeep Puri

Iran-Israel conflict: केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि इजरायल और ईरान के बीच युद्ध और अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बावजूद भारत में तेल की आपूर्ति बाधित नहीं होगी। उन्होंने बताया कि सरकार मध्य पूर्व में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव पर नजर बनाए हुए है, लेकिन देश के पास पर्याप्त रणनीति और भंडारण है जिससे भारतीय उपभोक्ताओं को ईंधन की कमी नहीं झेलनी पड़ेगी। हरदीप पुरी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “हम पिछले दो सप्ताह से मध्य पूर्व की स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने अपनी तेल आपूर्ति को कई स्रोतों से प्राप्त करना शुरू कर दिया है। अब हमारी आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा होर्मुज जलसंधि पर निर्भर नहीं है।” गौरतलब है कि होर्मुज जलसंधि वह समुद्री मार्ग है जिससे प्रतिदिन लगभग 2 करोड़ बैरल कच्चा तेल सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों से दुनिया को भेजा जाता है। यह रास्ता ईरान के पास से गुजरता है और यदि यह अवरुद्ध होता है तो वैश्विक तेल आपूर्ति पर बड़ा असर पड़ सकता है।

पुरी ने बताया कि इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी तेल विपणन कंपनियों के पास कई सप्ताह की आपूर्ति मौजूद है और उन्हें कई अलग-अलग रास्तों से तेल मिल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार नागरिकों को ईंधन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका इजरायल के साथ युद्ध में शामिल होता है तो वह होर्मुज जलसंधि को बंद कर सकता है। इससे सऊदी अरब, इराक, कुवैत और यूएई से होने वाली आपूर्ति पर असर पड़ सकता है, जिससे तेल की कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं। इसके अलावा यमन के हूती विद्रोहियों ने भी चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका ने ईरान पर हमला किया तो वे फिर से अमेरिकी जहाजों पर हमले शुरू कर देंगे।

वहीं भारत अपनी 85 प्रतिशत कच्चे तेल की जरूरतों को आयात से पूरा करता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी से देश का आयात बिल बढ़ सकता है, जिससे महंगाई और आर्थिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है। विदेशी मुद्रा का अधिक खर्च होने से रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले कमजोर हो सकती है। हालांकि, हरदीप पुरी ने भरोसा दिलाया कि भारत ने रूस और अमेरिका जैसे देशों से आयात बढ़ाकर और रणनीतिक तेल भंडार बनाकर अपनी आपूर्ति में विविधता ला दी है। देश के पास अब 23 आधुनिक रिफाइनरियां हैं जिनकी कुल क्षमता 257 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष है, जिससे पर्याप्त मात्रा में पेट्रोलियम उत्पाद बनाए जा सकते हैं। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मंत्रालय ने रणनीतिक भंडारों के लिए स्टोरेज सुविधाएं भी स्थापित की हैं, जो आपातकालीन स्थिति या अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अधिक होने पर राष्ट्रीय तेल कंपनियों की मदद कर सकती हैं। इस तरह की तैयारी से भारत भू-राजनीतिक संकटों के समय भी स्थिरता बनाए रखने में सक्षम है।

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