Railway Line: The matter of getting compensation by changing the Khasra number reached the High Court
याचिकाकर्ता ने एसआईटी जांच कराए जाने की मांग
Railway Line: सिंगरौली: सिंगरौली जिले को रेलवे सुविधा से जोड़ने को लेकर देवसर बहरी सीधी चुरहट एवं रीवा के क्षेत्र में रेल लाइन के विस्तार को लेकर भारत सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन काफी लंबे अरसे से प्रक्रियाधीन है ज्ञात हो कि ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन को लेकर प्रक्रिया वर्ष 2017 से शुरू है लेकिन अभी भी जिले में सारी कवायद केवल भू अर्जन प्रक्रिया तक ही सीमित है भू अर्जन प्रक्रिया के तहत अब कुछ ही लोगों का भुगतान करना बाकी है वही हम अगर रेलवे लाइन के मैदानी स्तर पर कार्य की बात करें तो यह कार्य सीधी तक ही सीमित है जिले में प्रभावित लोगों का विरोध प्रक्रिया को आगे बढ़ने में बाधा जरूर बना है पर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन में सिंगरौली जिले में होने वाले भू अर्जन को लेकर व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया। संबंधित मामले में आरोप है कि नियमों की अनदेखी कर चाहतों को लाभ पहुंचाने की बात निकल कर सामने आ रही है उक्त परियोजना प्रारंभ होने के पश्चात से ही भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के कई मामले प्रकाश में आए किंतु यह मामला अपने आप में अनोखा है क्योंकि भ्रष्टाचार में राजस्व विभाग के आला अधिकारी ही नजर आ रहे हैं क्योंकि उक्त संबंध में कई पीड़ितों के द्वारा लिखित रूप से शिकायत की जा चुकी है किंतु कार्रवाई ना होने से कई पीड़ित निराश हो चुके हैं तो उन्हीं में से कुछ पीड़ित उच्च न्यायालय की शरण में जा पहुंचे हैं। संबंधित मामले में याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत कर स्वतंत्र एजेंसी से या एसआईटी गठित कर उच्च न्यायालय की निगरानी में जांच कराए जाने का आग्रह किया है।
खसरा नंबर बदलकर भ्रष्टाचार का लगा आरोप
ग्राम सुपेला तहसील देवसर जिला सिंगरौली के निवासी रामा गोविंद एवं अन्य ने राजस्व ग्राम सभा में स्थित आराजी नंबर 4/3ग के संबंध में आपत्ति की है संबंधित मामले में याचिकाकर्ता का कहना है कि उक्त आराजी उनकी पैतृक अविभाजित भूमि है जो कि पूर्व में रेल लाइन से प्रभावित नहीं थी वर्ष 2020 में भू अर्जन अधिकारी तहसील देवसर को उक्त आराजी को ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन में भू अर्जन की आवश्यकता महसूस हुई जिस पर ग्राम खोवा कि उक्त आराजी सहित अन्य गांवों की छुटी हुई आराजी के संबंध में प्रस्ताव कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया गया था आरोप है कि संबंधित प्रस्ताव में बड़ी ही चतुराई के साथ 4/3ग को 413/ग बताया गया जिस संबंध में कलेक्टर सिंगरौली द्वारा 8 सितंबर 2020 को सूचना प्रकाशित कर छोटी हुई आराजी को रेल लाइन से प्रभावित होने के कारण सहित सभी तरह के अंतरण पर रोक लगाए जाने का आदेश पारित कर दिया गया तत्पश्चात भू अर्जन अधिकारी देवसर द्वारा 1 अक्टूबर 2020 को सभी ग्राम पंचायतों को यह निर्देश दिया गया कि उक्त छुटी हुई आराजी पर किसी तरह का निर्माण कार्य न किया जाए यदि ऐसा कोई निर्माण कार्य होता है तो संबंधित ग्राम पंचायत इसके लिए जिम्मेदार होंगे । ग्राम खोभा में खसरा नंबर 413/ग मौजूद ही नहीं है इस संबंध में भू अर्जन अधिकारी से लेकर पटवारी तक किसी ने भी संज्ञान नहीं लिया अतः खसरा नंबर 4/3ग मैं छोटे-छोटे रखबो की उन्नतीस रजिस्टर दिनांक 29 सितंबर 2020 एवं 14 अक्टूबर 2020 को हो गई तत्पश्चात आनन-फानन में उक्त सभी छोटे भूखंडों को नामांतरण एवं कुछ भूखंडों का डायवर्शन भी हो गया तथा इस पूरे मामले में गौर करने वाली बात है कि याचिकाकर्ता रामगोविंद एवं अन्य ने भू अर्जन अधिकारी देवसर के समक्ष खसरा सुधार हेतु आवेदन दिया क्योंकि तत्कालीन हल्का पटवारी द्वारा उनके हक एवं हिस्से की भूमिका रखवा कम कर अनुचित लाभ अर्जित करने हेतु खसरा नंबर 4/3ग क्षेत्रफल बढ़ा दिया तथा नक्शे में भी सुधार कर दिया गया तथा उक्त संबंध में वरिष्ठ कार्यालय का कोई आदेश पारित नहीं हुआ था इस त्रुटि को दूर करने के लिए रामगोविंद एवं अन्य याचिकाकर्ता ने खर्चा सुधार का आवेदन लगाया जो कि उपखंड अधिकारी देवसर द्वारा इस टीम के साथ निरस्त कर दिया गया कि आराजी नंबर 4/3ग ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन से प्रभावित है इसलिए आराजी में खसरा सुधार नहीं किया जा सकता लेकिन अगले ही दिन 14 अक्टूबर 2020 को उप पंजीयक कार्यालय देवसर में 19 जमीनों के छोटे-छोटे टुकड़ों की रजिस्ट्री कर दी जाती है एवं इसके बाद नामांतरण सहित डायवर्सन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई इस पूरे मामले में स्पष्ट हो जाता है कि संबंध राजस्व विभाग सारे नियम कायदे ताक पर रखकर अपनी सुविधा अनुसार कार्य कर रहा है।
दस्तावेजों में हेरफेर कर करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार को दिया आमंत्रण
ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन की भूमि अधिग्रहण में जिस तरह से मुआवजे के नाम पर करोड़ों रुपए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके हैं एवं अन्य ऐसे रकबे जिनका अधिग्रहण नहीं हो पाया था संबंधित रकबे के नाम पर उक्त भूखंडों पर मुआवजा का लाभ लेने हेतु सैकड़ों मकान निर्मित किए जाने लगे हैं ऐसा भी नहीं है कि संबंधित मामले की जानकारी प्रशासन तक ना पहुंची हो क्योंकि मुआवजे के नाम पर करोड़ों रुपए के हो रहे भ्रष्टाचार की कहानी क्षेत्रीय अखबारों ने प्रमुखता के साथ में उठाया था परंतु प्रशासन ने संबंधित मामले का संज्ञान फिर भी ना लेते हुए अपनी सुविधा अनुसार ही कार्य करता रहा। भू अर्जन अधिकारी द्वारा उक्त नवनिर्मित मकानों के संबंध में नियम प्रक्रिया को अनदेखा कर मुआवजा वितरण की तैयारी किए जाने के मामले में याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय की शरण में जा पहुंचा याचिकाकर्ता रामगोविंद एवं अन्य ने अधिवक्ता ब्रह्मेंद्र पाठक के माध्यम से रिट याचिका प्रस्तुत कर उच्च न्यायालय में प्रार्थना की है कि रेलवे भू अर्जन में हजारों करोड़ रुपए का घोटाला हुआ है जिसमें ग्राम खोभा का मामला नाम मात्र का है याचिकाकर्ता की ओर से पूरे प्रकरण को सीबीआई सीआईडी आर्थिक अपराध लोकायुक्त को सौंपा जाए या फिर इस पूरे मामले की जांच एसआईटी से उच्च न्यायालय के संरक्षण में कराए जाने की मांग की है।