Devsar News: The ongoing game of evaluation of the names of tribals on the land of tribals
वन भूमि पर रेलवे मुआवजे के लिए बने मकान,वन अधिकारी मौन
शासन को लम्बी क्षति पहुंचाने मुआवजा तंत्र ने रचा खेल,सरकार ने साधी चुप्पी
Singrauli MIrror: सिंगरौली/देवसर- ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन परियोजना में ग्राम कुर्सा खम्हरिया झोखों में मकान का निर्माण जोरों पर अभी भी जारी है।विदित हो कि तरो ताजा बनाए जा रहे मकानों का इंजीनियर,पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर एवं पटवारी,राजस्व निरीक्षक सहित अन्य माप टीम में शामिल जिम्मेदारों के द्वारा धड़ल्ले से आंख बंद कर मकानों का माप व मूल्यांकन किया जा रहा है। गौरतलब है कि आदिवासियों की जमीन पर बेधड़क सामान्य वर्गों सहित अन्य वर्गो के मकान बने लेकिन जैसे ही पूर्व में हाईकोर्ट का फैसला मुआवजा तंत्रों के संज्ञान में आया वैसे ही आनन-फानन में मुआवजा तंत्रों ने अपना एक अलग प्रकार का रुख अपनाते हुए आदिवासियों की जमीन आदिवासियों के नाम ही माप मूल्यांकन का खेल शुरू कर दिया। दरअसल मुआवजा तंत्र को यह डर भी लगा है कि कहीं ऐसा न हो कि पूर्व में जिन गलतियों की वजह से हाथ मलना पड़ा है वही गलती फिर से न दोहराया जाए अन्यथा फिर से एक बार परिणाम नकारात्मक हो सकते हैं।यही कारण है कि रेलवे की भूमि पर बने मकान सामान्य वर्गों के होते हुए भी आदिवासियों के नाम माप मूल्यांकन का खेल रेलम पेल चलाया जा रहा है। दरअसल ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन परियोजना में जो मकान बने व अभी भी बनाए जा रहे हैं वह अधिकांश जमीन वन भूमि की भी बताई जा रही है।बताया तो यह भी जा रहा है कि वन भूमि के नक्शे में एक भी मकान दर्ज नहीं हैं।इतना ही नहीं बल्कि अधिकाधिक मकानों का निर्माण मुनारे के भीतर भी किया गया है।आखिरकार जब वन भूमि की जमीन पर जो मकान बनाए गए हैं उनका मापन और मूल्यांकन किस आधार पर किया जा रहा है,यह एक बड़ा सवाल होने के साथ-साथ जांच का विषय भी है।
वन भूमि पर रेलवे मुआवजे के लिए बनें मकान,वन अधिकारी बेखबर
वन भूमि पर मुआवजा लेने के लिए धड़ल्ले से मकानों का निर्माण कार्य चल रहा है यहां तक की राजस्व की टीम भी उसका मांप मूल्यांकन कर रही है।सवाल तो यह उठता है कि आखिरकार जब अधिकाधिक रखवा वन भूमि का है तो वन अधिकारी अब तक बेखबर क्यों हैं।सूत्रों की माने तो अगर वन भूमि पर किसी गरीब की टपरी झोपड़ी बनती तो आनन-फानन में वन विभाग भी एक्शन में दिखाई देता या फिर यूं कहें कि बुलडोजर चला देता।लेकिन मुआवजा तंत्रों के द्वारा धड़ल्ले से वन भूमि पर मकानों का निर्माण किया जा रहा है और वन अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं।वहीं इस खेल में सरेआम मुआवजा तंत्रों के द्वारा आदिवासियों के नाम एग्रीमेंट कराकर शासन की आंखों में सरेआम धूल झोंकने का सिलसिला जारी है।
मकान किसी और का किसी और के नाम हो रहा मूल्यांकन के लग रहे आरोप
ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन परियोजना में मुख्य रूप से उन रकवों पर धड़ल्ले से निर्माण कार्य हो रहा है जो रखवा छूट गया था,या फिर यह कहा जाए कि जानबूझकर छोड़ा गया था। खैर बात चाहे जो भी रही हो लेकिन इन दिनों मामूली से छूटे रकवे पर अनगिनत मकान बनाए गए हैं जो छूटे रकवे से कई गुने ज्यादा रकवे में निर्माण कार्य किया गया है। अब केवल खेल चल रहा है तो मात्र आदिवासी की जमीन पर आदिवासी के ही नाम लिखाने की।
रजिस्ट्री,स्टांप चोरी कर शासन को चुना लगाये जाने का आरोप
ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन परियोजना में मुख्य रूप से कुर्सा,खमहरिया,झोखों में बने मकान जो वन भूमि के नक्शे में दर्ज भी नहीं है उन पर सरेआम अनगिनत मकान बनाकर मुआवजा तंत्रों ने शासन की रजिस्ट्री स्टांप के शुल्क पर भी डोरे डालते हुए अच्छा खासा नुकसान पहुंचाने के फिराक में हैं।वहीं स्थानीय जनों की माने तो शासन को लम्बी क्षति पहुंचाने मुआवजा तंत्र ने ऐसा खेल रचा है कि सरकार भी इनके सामने घुठने टेकते नजर आ रही है।