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Uttarakhand News: उत्तराखंड की तीन हस्तियां पद्मश्री से सम्मानित

Rama Posted on: 2025-05-28 11:07:00 Viewer: 99 Comments: 0 Country: India City: Chakrata

Uttarakhand News: उत्तराखंड की तीन हस्तियां पद्मश्री से सम्मानित Uttarakhand News: Three personalities from Uttarakhand honored with Padma Shri

Uttarakhand News: उत्तराखंड की तीन हस्तियां पद्मश्री से सम्मानित की गई हैं। भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने मंगलवार को नई दिल्ली में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में उत्तराखंड की राधा भट्ट को सामाजिक कार्य, ह्यूग गैंट्ज़र और कोलीन गैंट्ज़र (मरणोपरांत) को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया।

सुश्री राधा भट्ट को समाज में शिक्षा की अलख जगाकर मिला पद्मश्री सम्मान

पद्मश्री से सम्मानित होने वाली सुश्री राधा भट्ट उत्तराखंड की एक प्रसिद्ध समाज सेविका हैं। 16 अक्टूबर 1933 को उत्तराखंड के एक सुदूर इलाके में जन्मी, भट्ट को अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए और अधिक प्रयास करने पड़े। उस समय वहां लड़कियों के लिए शिक्षा को लेकर कोई जागरूकता नहीं थी। भट्ट ने किशोरावस्था में ही महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा देने और उनमें आत्मविश्वास पैदा करके उनकी मदद और विकास के लिए समाज सेविका बनने का निर्णय लिया।

इस उद्देश्य के लिए उन्होंने 12वीं की पढ़ाई छोड़ दी और 16 साल की उम्र में सरला बेन के आश्रम में शामिल हो गईं। जब वह सिर्फ 16 साल की थीं, तब उन्होंने लक्ष्मी आश्रम में प्रवेश लिया। वे लगतार कठिन परिश्रम करती रही और समाज में शिक्षा की अलख जगाई। उन्होंने वर्ष 1961-1963 में किशोरों के लिए छोटे-छोटे संगठन (मंडल) स्थापित किए, लड़कियों के लिए एक घंटे का स्कूल और सभी उम्र के बच्चों के लिए व्यक्तित्व विकास संबंधी गतिविधियां आयोजित कीं।

सिर्फ इतना ही नहीं, सुश्री भट्ट ने 1975 में चिपको आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने पर्यावरण की रक्षा और गांव के साझा चरागाहों और जंगलों को विनाश से बचाने के उद्देश्य से सोपस्टोन खदानों में विस्फोट और खुदाई के खिलाफ अभियान चलाया। आंदोलन ने खीराकोट के गांवों को 300 एकड़ से अधिक भूमि उपलब्ध कराई। सरयू जलग्रहण क्षेत्र में कई खदानें बंद कर दी गईं और 1.60 लाख से अधिक पेड़ लगाए गए। वर्ष 2008 में ‘नदी बचाओ आंदोलन’ शुरू किया। सुश्री भट्ट ने कई लेख और कुछ किताबें लिखी हैं, जो डेनिश, स्वीडिश और जर्मन भाषाओं में भी प्रकाशित हुई हैं।

वह वर्ष 2006 में दिल्ली में गांधी शांति प्रतिष्ठान की पहली महिला अध्यक्ष और वर्ष 2024 तक लक्ष्मी आश्रम कौसानी की अध्यक्ष थीं। वह सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट, नई दिल्ली तथा सेंट्रल हिमालयन एनवायरनमेंट एसोसिएशन, नैनीताल और पर्वतीय पर्यावरण संरक्षण समिति, पिथौरागढ़ जिले की सदस्य भी हैं। सुश्री भट्ट को कई पुरस्कारों, जैसे वर्ष 1991 में जमनालाल बजाज पुरस्कार, गोदावरी पुरस्कार, इंदिरा प्रियदर्शनी पुरस्कार (भारत सरकार) (पर्यावरण), मुनि संतबल पुरस्कार और स्वामी राम मानवतावादी पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है।

उत्तराखंड के प्रसिद्ध यात्रा वृतांत लेखक ह्यूग गैंट्ज़र और उनकी पत्नी कोलीन गैंट्ज़र (मरणोपरांत) पद्मश्री से सम्मानित

पद्मश्री से सम्मानित ह्यूग गैंट्ज़र उत्तराखंड के प्रसिद्ध यात्रा वृतांत लेखक हैं। वह भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं और कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए। भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त होने के उपरांत, इन्होंने और इनकी पत्नी कोलीन ने भारतीय मोज़ेक के आकर्षणों की खोज करने का निर्णय लिया। 9 जनवरी, 1931 को पटना में जन्में गैंट्ज़र ने पटना में कॉन्वेंट, हैम्पटन कोर्ट विद्यालय, सेंट जॉर्ज महाविद्यालय, मसूरी, सेंट जोसेफ महाविद्यालय, नैनीताल, सेंट जेवियर्स महाविद्यालय, कलकत्ता और बम्बई में के. सी. विधि महाविद्यालय से अपनी शिक्षा पूरी की।

ह्यूग गैंट्ज़र और कोलीन गैंट्ज़र ने 3,000 से अधिक लेख, कॉलम और पत्रिका फीचर्स लिखे हैं और 30 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। गैंट्ज़र्स ने दूरदर्शन द्वारा पूरे भारत में प्रसारित होने वाले पहले यात्रा वृत्तचित्रों (डॉक्यूमेंटरीज) लूकिंग बियोंड विद ह्यूग एंड कोलीन गैंट्ज़र और टेक अ ब्रेक विद ह्यूग और कोलीन गैंट्ज़र, का भी निर्माण किया। श्री ह्यूग गैंट्ज़र ने स्वीकार किया है कि अपनी दिवंगत पत्नी, कोलीन की प्रेरणा से वह यात्रा वृतांत लेखक बन गए, उनकी पत्नी बहुत ही जिज्ञासु, बहुत ही साहसी थीं और संवेदना ऐसी थी कि एकदम अनजान व्यक्ति भी उनके सामने अपने मन की सारी बातें कह जाता था। पदमश्री से सम्मानित कोलीन गैंट्ज़र प्रसिद्ध यात्रा लेखिका थीं।

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