Singrauli News: Passengers being washed by goods vehicles are inviting accidents
Singrauli News: मालवाहक वाहनों में सवारियां ढोने का क्रम बंद नहीं हो रहा है। बार-बार हादसों से कोई सबक नहीं ले रहा है। जब कोई हादसा होता है तो इस पर बहस होती है। उसी समय नियमों की याद भी आती है लेकिन फिर वही सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है। मोटर व्हीकल एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत केवल मात्र मालवाहक वाहनों को सामान ढोने के लिए प्रयोग में लाया जा सकता है। इसमें सवारियां बैठाने पर पाबंदी है। इसके बावजूद इसके नियमों का उल्लंघन हो रहा है। यहां पुलिस ऐसे मालवाहक वाहनों में यात्रियों को ढोने के मामले में एमवी एक्ट की धारा 184 तथा 192ए के तहत कार्रवाई करती है।
घायल होने पर नहीं मुआवजे का प्रावधान
मोटर व्हीकल एक्ट में साफ तौर पर मालवाहक वाहनों में सवारियां ढोने पर पाबंदी है। हादसे होने की स्थिति में अपनी जान गंवाने वाले तथा घायल होने वाले लोगों को मुआवजे का भी प्रावधान नहीं है। वाहनों की बीमा पॉलिसी में भी सवारियां ढोने पर किसी प्रकार का क्लेम न देने का उल्लेख होता है। मालवाहक वाहनों को यात्री वाहन के रूप में उपयोग करना गैर कानूनी है। ऐसे वाहनों पर पुलिस के द्वारा एमव्ही एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है।
ग्रामीण क्षेत्र के लोग करते हैं मालवाहन वाहनो का उपयोग
मालवाहक वाहनों का उपयोग अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के द्वारा किया जाता है। इन्हें यदि किसी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए दूसरे गांव जाना होता है तो ये पैसे बचाने के चक्कर में अधितर मालवाहनो का ही उपयोग करते है। जिसका नतीजा कई लोगों की मौत और कई हमेशा के लिए अपने अंगों को खो देते हैं। दर्दनाक हादसे लम्बे समय तक गहरे जख्म भी दे जाते हैं।
नो-एंट्री पर वसूली, बड़े वाहनों की धड़ल्ले से एंट्री
सिंगरौली जिले में यातायात व्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है। जिन अधिकारियों को शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई है, वही अधिकारी अब इस व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ाने में लगे हुए हैं। खासतौर पर यातायात थाना प्रभारी पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि वह अपने निजी स्वार्थ के चलते नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
शहर में विभिन्न स्थानों पर नो-एंट्री का नियम लागू किया गया है ताकि भारी वाहनों को भीड़भाड़ वाले इलाकों में प्रवेश से रोका जा सके। परंतु हकीकत इससे कोसों दूर है। यातायात पुलिस द्वारा महज 100-200 रुपए की रिश्वत लेकर बड़े-बड़े वाहनों को नो-एंट्री जोन में बेरोकटोक प्रवेश कराया जा रहा है। परिणामस्वरूप, शहर की संकरी गलियों और मुख्य बाजारों में भारी वाहनों की आवाजाही से न केवल जाम की स्थिति उत्पन्न हो रही है, बल्कि दुर्घटनाओं का भी खतरा लगातार मंडरा रहा है।
क्या कोई होगी ठोस कार्यवाही?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जिला पुलिस अधीक्षक इस पूरे प्रकरण का संज्ञान लेकर यातायात व्यवस्था को सुचारु करने की पहल करते हैं या फिर चंद रूपयों की लालच में कुछ लोग इसी तरह शहर की व्यवस्था को चौपट करते रहेंगे। अगर समय रहते कठोर कार्यवाही नहीं की गई तो सिंगरौली की सड़कों पर होने वाले हादसों की जिम्मेदारी निश्चित रूप से प्रशासन की होगी।