Singrauli News: NCL mines are the target of thieves, incidents of theft are not stopping.
सीकेडी माफियाओं और कंपनी के नुमाइंदों की भूमिका संदेह के घेरे में
Singrauli News: सिंगरौली। सिंगरौली जिले में मौजूद कोयला उत्पादन के लिए मशहूर एनसीएल कंपनी की विभिन्न परियोजनाओं में कोयला कबाड़ डीजल माफिया दसकों से हावी हैं, जिले में कोई भी कप्तान आए, यह माफियाओं पर अकुश लगा पाने में असमर्थ होते हैं। दरअसल कंपनी को हर वर्ष करोड़ रुपये का नुकसान सीकेडी माफिया द्वारा पहुंचाया जाता है, ऐसे में कंपनी प्रबन्धन भी होने वाले इस नुकसान से ज्यादातर प्रभावित होता है। सबसे वड़ा आरोप है कि सीकेडी माफियाओं और कपनी के नुमाइंदों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं हो सकता है।
ऐसे में जांच के दायरे में कंपनी प्रबन्धन के अधिकारी कर्मचारी भी आ रहे हैं। सीकेडी माफियाओं के साथ साथ जमीनों पर अवैध अतिक्रमण कार्यो की नजर के साथ में भू मफियाओं की नजर पड़ी हुई है। आज एक बड़ी आबादी औद्योगिक खदानों की भूमि पर अवैध रूप से रह रही है, एक तरफ जहां अवैध रूप से बस रही इन बस्तियों के कारण कंपनी प्रबंधन को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सिंगरौली पुलिस प्रशसन को भी इन अवैध बस्तियों से बढ़ रहे अपराधों ने परेशान कर दिया है। जिस पर रोक लगने के लिए एनसीएल प्रबंधक द्वारा बीच-बीच में कारंवाई कर खानापूर्ति करते भी देखा गया है, परंतु उक्त मामले पर भी लगाम कस पाना एनसीएल के लिए भी आसान नहीं है। कोयला उत्पादन को लेकर मशहूर एनसीएल कंपनी के स्टोर की कहानी आये दिन
निकल कर सामने आती रहती है।
कंपनी सूत्रों का दावा है कि यदि सही मायने में जांच पढ़ताल हो तो कंपनी के अधिकरियों सहित कर्मचरियों के नाम निकल कर सामने आ सकतें हैं जिसमें की मफिया के साथ मिली भगत का आरोप है। वहीं इस सम्पूर्ण जाँच को पुलिस प्रशासन करे तो बड़ा खेल उजागर हो सकता है। सीडब्ल्यूएस के स्टोर को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है लबे समय से यहीँ के स्टोर की कहानियों की चर्चा सबकी जुवान पर बनी रहती है। सीडल्न्यूएस के स्टोर में एव इसी परियोजना में विगत कुछ वर्षों में हुई चोरियों को लेकर यहाँ की वारदातों एवं इसकी शिकायत पुलिस प्रशासन से कितनी बार हुई सिफ इसी मामले की जाँच हो तो प्रबन्धन खुद जाँच के घेरे में आ जायेगा। वहीं इस मामले में चोरी की वारदात हो जाने के वाद प्रवन्धन पुलिस से मामले की शिकायत करने से क्यों कतराता है।
सुरक्षा विभाग भी सवालों के घेरे में
एनसीएल के विभिन्न परियोजनाओं में सुरक्षा व्यवस्थाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी एनसीएल के सुरक्षा विभाग साहित निजी सुरक्षा एजेसियों के हवाले है।कार्यालय सहित खदान में सुरक्षा व्यवस्था की पोल वहीं खुल जाती है जब सीकेडी माफिया के द्वारा मसीनो से अवैध रूप से किमती मशीनों के पार्टर्स एवं डीजल की बड़ी खेप पार कर दी जाती है। इसके साथ कंपनी का कोयला सुरक्षा विभाग एवं निजी सुरक्षा एजेंसियों के नाक के नीचे से निकल जाता है। लगभग एक वर्ष पुर्व में एनसीएल के बीना परियोजना क्षेत्र में 6000 टन अवैध रूप से भंडारित कोयला उत्तर प्रदेश पुलिस के द्वारा कार्रवाई कर जब्त किया गया था। गौरतलब हो कि खदानों से निकलने वाला कोयला व्यापक पमाने पर बनारस के चंदासी मंडी में बड़ी खेप पहुँच रही थी जिस पर उतर प्रदेश के वन विभाग अमले सहित पुलिस प्रशसन ने करवाई कर मांमले का खुलाना किया था वहीं डीजल माफियाओं पर भी उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने कार्रवाई कर मामले का
भंडाफोड़ किया था।
कार्रवाई से कोशों दूर प्रबंधन
एनसीएल की परियोजना में नुकसान पहुंचाने वाले असामाजिक तत्वों पर लगाम कस पाने में प्रबंधन की नाकामी साफ झलक रही है। अवैध रूप से अतिकमण करने वाले अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई की बात हो या सीकेडी माफियाओं पर शिकंजा कसने की बात हो तो एनसीएल प्रबंचन कारवाई करने की जहमत नहीं उठा पा रहा है। आपको बताते चलें कि एनसीएल की परियोजना में चपत लगाने का यह दौर कोई आज का नहीं है विगत कुछ वर्षों में किस तरह से गतिविधियों ने जोर पकड़ा है वह न केवल एनसीएल की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा करता है बल्कि एनसीएल के सुरक्षा विभाग को कटघरे में भी खड़ा कर रहा है। अब यह तो आने वाला बक्त ही बताया कि इस पूरे मामले को लेकर एनसीएल प्रबंधन सहित जिला प्रशासन इस पूरे मामले पर क्या कार्रवाई करता है और अधिकारियों के तर्क ऐसे हैं कि एक तरफ प्रबन्धन पुलिस के पास लिखित शिकायत की बात कहता है वहीं पुलिस ने एनसीएल के इन दावों पर शिकायत की बात से नकार दिया है।