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Introspection or an explosion of discontent within the BJP? A voice of self-respect amidst a deep silence.
Singrauli News: भारतीय जनता पार्टी के भीतर मंथन का दौर शुरू हो गया है। जिले के वरिष्ठ, सक्रिय और लंबे समय से उपेक्षित कार्यकर्ताओं की एक गोपनीय आत्ममंथन बैठक शहर के एक निजी स्थान पर आयोजित की गई, जिसने संगठन के भीतर गहराते असंतोष की परतें खोल दीं। हालांकि बैठक में शामिल भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना साफ है कि पार्टी की गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस बैठक में मंथन और चिंतन किया गया है। लेकिन वहीं दूसरी ओर क्षेत्र में चल रही राजनीतिक चर्चाओं में इसे असंतुष्ट खेमा की लामबंदी के नजरिए से भी देखा जा रहा है। क्यों कि यदि सिर्फ आत्ममंथन ही था तो फिर जिलाध्यक्ष की गैरमौजूदगी में क्यों?
बैठक में शामिल भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में भाजपा के सभी वर्गों—वरिष्ठ पदाधिकारी, मंडल अध्यक्ष, और जमीनी कार्यकर्ताओं—ने “उपेक्षा बनाम समर्पण” की बहस को खुलकर उठाया। इस दौरान नाराज़ नेताओं का दर्द भरपूर छलका । बैठक में शामिल कई पुराने और जुझारू कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट कहा कि पार्टी के लिए खून-पसीना बहाने वालों को दरकिनार किया जा रहा है। निर्णय सीमित दायरे में लिए जा रहे हैं।जमीनी कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही। इन बयानों ने साफ संकेत दिए कि जिले में भाजपा का असंतोष खेमा अब लामबंद हो चुका है और अगर संवाद का मार्ग नहीं खोला गया तो यह स्थिति संगठन के लिए चुनौती बन सकती है।
बिंदुवार रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौपी गई
बैठक में यह सर्वसम्मति बनी कि सभी शिकायतें, सुझाव और स्थानीय स्तर की उपेक्षा की बातें प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचाई जाएंगी। इसके लिए वरिष्ठ नेताओं की एक समिति गठित की गई है, जो बिंदुवार रिपोर्ट तैयार करेगी — जिसमें टिकट वितरण नीति, जिला नेतृत्व की कार्यशैली और कार्यकर्ताओं के मनोबल से जुड़े मुद्दे प्रमुख रहेंगे।
नवम्बर की बैठक में – बड़ा निर्णय संभव
संगठन के सूत्रों के मुताबिक, अगली बैठक नवम्बर के पहले सप्ताह में बुलाई जाएगी, जिसमें आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति, संगठनात्मक पुनर्गठन,और “वास्तविक कार्यकर्ताओं की भूमिका” जैसे विषयों पर चर्चा होगी। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह बैठक भाजपा सिंगरौली के भविष्य की दिशा तय करने वाली साबित हो सकती है।
गोपनीय माहौल, गूंजते सवाल
बैठक को पूरी तरह गोपनीय रखा गया। अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि चर्चा के केंद्र में संगठनात्मक ढांचे की कमजोरियां, टिकट वितरण की नीति में असंतोष,और नेतृत्व की जवाबदेही जैसे मुद्दे शामिल रहे। एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, कि यह आत्ममंथन जरूरी था। अगर आवाज़ भीतर से नहीं उठेगी तो संगठन की जड़ें कमजोर होंग। सूत्रों की पुष्टि के अनुसार, यह बैठक भाजपा के वरिष्ठ नेता के निज निवास हर्रई में हुई, जहां जिलेभर से सैकड़ों कार्यकर्ता और पूर्व पदाधिकारी शामिल हुए। यह पहली बार था जब इतने बड़े स्तर पर संगठन के “पुराने स्तंभ” एक साथ बैठे और खुले मंच से आत्ममंथन किया।
राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि यह बैठक भाजपा के भीतर उभरते दो ध्रुवों का संकेत है —एक ओर संगठन का वर्तमान नेतृत्व है तो और दूसरी ओर वे कार्यकर्ता जो खुद को “उपेक्षित” और “निष्क्रिय बना दिए गए” मानते हैं। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है —क्या यह आत्ममंथन भविष्य में नए मोर्चे का स्वरूप लेगा? क्या भाजपा के भीतर से ही “सम्मान का संघर्ष” उभर रहा है? या यह पार्टी के हित में सुधार का संकेत है?
यह उपेक्षा की प्रतिक्रिया है या आत्मसम्मान की लड़ाई
भाजपा सिंगरौली की यह बैठक अब जिले की राजनीति में केंद्रबिंदु बन गई है। जहाँ कुछ लोग इसे “संगठन के भीतर स्वस्थ मंथन” बता रहे हैं, वहीं कई पुराने नेता इसे “उपेक्षित कार्यकर्ताओं का आत्मसम्मान आंदोलन” मान रहे हैं। पार्टी के अंदरखाने में क्या पक रहा है यह तो रणनीतिकार ही जाने लेकिन इतना अवश्य है कि सिंगरौली भाजपा की ‘दीवार के पीछे की आवाज़’ अब सार्वजनिक हो चुकी है! अब यह भाजपा नेतृत्व पर निर्भर है कि वह इन असंतोष की आवाज़ों को संवाद का अवसर मानता है या अवज्ञा का संकेत।