Singrauli News: Morwa filled with pollution with clouds of dust from Jayant
धूल के गुबार व वायुप्रदूषण ने शहर के लोगों की उम्र घटाई
Singrauli News: सिंगरौली। ऊर्जांचल में प्रदूषण की समस्या गंभीर होती जा रही है। इसमें सबसे खराब स्थिति जयंत से मोरवा के बीच की है। इस पर रोजाना डेढ़ हजार से अधिक कोयला लदे ट्रकों के आवागमन और सड़क की खराब स्थिति के चलते धूल ही धूल है। हालत यह है कि आसमान में स्माग जैसी स्थिति बन जाती है। इससे सड़क पर पैदल, बाइक, साइकिल से चलने वालों की फजीहत तो होती ही है, सड़क के आस-पास रहने वालों को प्रदूषण की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। एनजीटी के दबाव पर सड़क की स्थिति सुधारने के लिए नई सड़क बनाई जाती है। सड़क चौड़ी की जा रही है जैसा की सभी जानते हैं कि ऊर्जाचल क्षेत्र में प्रदूषण की मार लोग वर्षों से झेल रहे हैं। जहां हर बच्चा भी प्रतिदिन कई सिगरेट का धुंआ फैले प्रदूषण के रूप में ग्रहण कर रहा है। यहां प्रदूषण की इस स्थिति के कारण हर घर से एक व्यक्ति भी श्वांस और फेफरे की बीमारी से जूझ रहा है। जहां लोग इलाज के लिए लोग प्रतिदिन अस्पताल जा रहे है। प्रदूषण की मुख्य वजह यहां परियोजनाओं से निकल रहा धुआं तो है ही साथ ही यहां घरों से लेकर होटल ढाबों में जलाए जा रहे प्रतिबंधित कोयले से भी प्रदूषण बढ़ा है। वहीं धूल उड़ाते वाहन भी रही सही कसर को पूरा कर रहे हैं। इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से लेकर स्थानीय प्रशासन भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है। जिसके कारण ऊर्जाचल का प्रदूषण स्तर खतरनाक हो चुका है।
धूल से भरा एक्सप्रेस वे
मोरवा जयंत के बीच बना 2200 मीटर का फाइव लेन अपने दोनो सिरों में धूल और कीचड़ से भरा रहता है। कांटा मोड़ में हर दूसरे घंटे फॉग मशीन से लेकर वॉटर स्प्रिंकलर कुछ मिनट के लिए ही प्रभावी होता है। उसके बाद तो वहां पर आते-जाते वाहनों को भी देख पाना संभव नहीं रह जाता है। यह स्थिति उन दो पहिया चालकों के लिए जानलेवा होती है जो इधर से गुजरते हैं। कई बार तो सुरक्षित निकल पाना मुश्किल हो जाता है। लम्बे समय से कांटा मोड़ से स्टेशन की ओर जाम की स्थितियां उत्पन्न होती हैं। मौजूदा समय में यहां की सड़क गड्ढों में तब्दील हो गयी है। आगे चल रहे वाहनों से उड़ती धूल पीछे से आ रहे वाहन चालक के लिए ओझल कर देने वाली स्थिति बनी रहती है। कई एक ऐसे स्थान बन गये हैं, जहां पर धूल के ढेर जमा रहते हैं। क्योंकि धुलाई कर साफ-सुथरी रखी जाने वाली सड़क पर झाडू से सफाई का कार्य लगातार चलता रहता है। लेकिन डस्ट से निजात नहीं मिल पा रही है, जिससे सड़क बनने के बावजूद प्रदूषण में किसी प्रकार की कमी आती नहीं दिखाई दे रही है।
भारी वाहनों की लेन धूलमय
फाइव लेन सड़क पर तीन लेन भारी वाहनों के लिए और टू लेन सड़क हल्के व सवारी वाहनों के लिए निर्धारित किया गया है वाहनों के आवागमन से धुल उड़कर दूसरे लेन पर पहुंच जाता है। इन सड़क पर ऑटोमैटिक स्प्रिंकलर भी लगाया जाना था, लेकिन लगभग एक साल होने वाला है, अब तक वॉटर स्प्रिंकलर दौड़ाए जा रहे हैं और सड़क पर श्रमिक लगाकर सफाई कराई जा रही है।
कोयले के डस्ट से पटे डिवाडर्स
भारी और हल्के वाहनों के बीच बने डिवाइडर भी कोयले से पटे हुए हैं। इनके बीच लगाए जाने वाले पेड़-पौधे भी अब तक पनप नहीं पाए हैं। जिसकी वजह से भारी वाहनों वाली लेन से दूसरी तरफ कोलडस्ट आने से बचाव नहीं हो पा रहा है। कई स्थानों पर कोयले की धूल को बहाकर किनारे पहुंचाने का प्रयास किया जाता है, जो हल्के वाहन वाले लेन पर पहुंच जाता है। फाइव लेन मार्ग में साफ- सफाई और डस्ट से सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम किए जाने चाहिये।