Ministry of Earth Sciences: भारत ATCM 46 और पर्यावरण संरक्षण समिति की 26वीं बैठक की करेगा मेजबानी

Rama Posted on: 2024-05-02 11:59:00 Viewer: 118 Comments: 0 Country: India City: Delhi

Ministry of Earth Sciences: भारत ATCM 46 और पर्यावरण संरक्षण समिति की 26वीं बैठक की करेगा मेजबानी Ministry of Earth Sciences: India to host ATCM 46 and 26th meeting of Environment Protection Committee

 

Ministry of Earth Sciences: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (NCPOR) के माध्यम से केरल के कोच्चि में 20 से 30 मई तक 46वीं अंटार्कटिक संधि परामर्शदात्री बैठक (ATCM 46) और पर्यावरण संरक्षण समिति (CEP 26) की 26वीं बैठक की मेजबानी करेगा। बता दें कि एटीसीएम और सीईपी बैठकों में भागीदारी इसके सदस्यों, पर्यवेक्षकों और आमंत्रित विशेषज्ञों द्वारा नामित प्रतिनिधियों तक ही सीमित है। इस वर्ष 46वें एटीसीएम और 26वें सीईपी में 60 से अधिक देशों के 350 से अधिक प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है। इसका आयोजन भारत के कोच्चि में लुलु बोलगट्टी इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एलबीआईसीसी) में एनसीपीओआर, एमओईएस करेगा। इस बारे में अधिक विवरण https://www.atcm46india.in/ और https://www.ats.aq/devAS/Meetings/Upcoming/97/ पर उपलब्ध हैं।

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय ने एक बयान में बताया, एटीसीएम और सीईपी की बैठकें अंटार्कटिका के नाजुक इकोसिस्टम की सुरक्षा और क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के चल रहे प्रयासों में महत्वपूर्ण हैं। अंटार्कटिक संधि प्रणाली के तहत प्रतिवर्ष बुलाई जाने वाली ये बैठकें अंटार्कटिका के महत्वपूर्ण पर्यावरण, वैज्ञानिक और शासन संबंधी मुद्दों का हल निकालने के लिए अंटार्कटिक संधि परामर्शदात्री पक्षों और अन्य हितधारकों के लिए मंच के रूप में काम करती हैं।

ज्ञात हो, 1959 में हस्ताक्षरित और 1961 में लागू हुई अंटार्कटिक संधि ने अंटार्कटिका को शांतिपूर्ण उद्देश्यों, वैज्ञानिक सहयोग व पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित क्षेत्र के रूप में स्थापित किया। पिछले कुछ वर्षों में इस संधि को व्यापक समर्थन मिला है और वर्तमान में 56 देश इसमें शामिल हैं। सीईपी की स्थापना 1991 में अंटार्कटिक संधि (मैड्रिड प्रोटोकॉल) के पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल के तहत की गई थी। सीईपी अंटार्कटिका में पर्यावरण संरक्षा और संरक्षण पर एटीसीएम को सलाह देता है। बता दें, भारत 1983 से अंटार्कटिक संधि का एक सलाहकार सदस्य रहा है। यह आज तक अंटार्कटिक संधि के अन्य 28 सलाहकार सदस्यों के साथ निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेता है। भारत का पहला अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र, दक्षिण गंगोत्री, 1983 में स्थापित किया गया था। वर्तमान में, भारत दो अनुसंधान केंद्र मैत्री (1989) और भारती (2012) संचालित करता है।

46वें एटीसीएम के एजेंडे के प्रमुख विषयों में अंटार्कटिका और उसके संसाधनों के स्थायी प्रबंधन के लिए रणनीतिक योजना, नीति, कानूनी और संस्थागत संचालन, जैव विविधता पूर्वेक्षण, सूचना व डेटा का निरीक्षण और आदान-प्रदान, अनुसंधान, सहकार्य, क्षमता निर्माण और सहयोग, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटना, पर्यटन ढांचे का विकास,और जागरूकता को बढ़ावा देना शामिल हैं। इसके अलावा अंटार्कटिक अनुसंधान पर वैज्ञानिक समिति के व्याख्यान भी आयोजित किए जाएंगे।

उल्लेखनीय है, 26वां सीईपी एजेंडा अंटार्कटिक पर्यावरण मूल्यांकन, प्रभाव मूल्यांकन, प्रबंधन तथा रिपोर्टिंग, जलवायु परिवर्तन को लेकर सचेतता, समुद्री स्थानिक संरक्षण सहित क्षेत्र संरक्षण और प्रबंधन योजनाएं और अंटार्कटिक जैव विविधता के संरक्षण पर केंद्रित है। वहीं दूसरी ओर 46वीं एटीसीएम और 26वीं सीईपी बैठक की मेजबानी भावी पीढ़ियों के लिए अंटार्कटिका को संरक्षित करने के प्रयासों में एक जिम्मेदार वैश्विक हितधारक के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।

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