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UNESCO News: सोशल मीडिया से लैंगिक रूढ़ियों व दकियानूसी सोच को मिल रहा बढ़ावा : यूनेस्को की रिपोर्ट

Rama Posted on: 2024-04-27 10:26:00 Viewer: 88 Comments: 0 Country: India City: Delhi

UNESCO News: सोशल मीडिया से लैंगिक रूढ़ियों व दकियानूसी सोच को मिल रहा बढ़ावा : यूनेस्को की रिपोर्ट UNESCO News: Social media is promoting gender stereotypes and conservative thinking: UNESCO report

 

UNESCO News: संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने गुरुवार को एक नई रिपोर्ट में चेतावनी जारी की गई है जिसमें कहा गया, डिजिटल टैक्नॉलॉजी से पढ़ाई-लिखाई और सीखने-सिखाने में मदद तो मिली है, मगर सोशल मीडिया से लैंगिक रूढ़ियों व दकियानूसी सोच को भी बढ़ावा मिल रहा है और लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य व कल्याण पर नकारात्मक असर हो रहा है।

यूज़र्स की निजता का हनन होने का जोखिम

बता दें कि ‘प्रौद्योगिकी अपनी शर्तों पर’ (Technology on Her Terms) नाम की यह रिपोर्ट यूनेस्को ने 25 अप्रैल को प्रकाशित की। इस रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल टैक्नॉलॉजी के इस्तेमाल में निहित लाभों के साथ-साथ, यूज़र्स की निजता का हनन होने का भी जोखिम है। साथ ही, छात्र-छात्राओं का पढ़ाई-लिखाई से ध्यान भटकने और साइबर माध्यमों पर उन्हें डराए-धमकाए जाने की आशंका भी बढ़ती है।

लड़कियों के लिए मानसिक तनाव बढ़ सकता है

उल्लेखनीय है सोशल मीडिया पर यूज़र्स को एल्गोरिथम के आधार पर मल्टीमीडिया सामग्री के उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन इससे लड़कियों के यौन सामग्री से लेकर ऐसे वीडियो की जद में आने का ख़तरा है, जिनमें अनुचित बर्ताव या शारीरिक सुन्दरता के अवास्तविक मानकों का महिमांडन किया गया हो। इससे लड़कियों के लिए मानसिक तनाव बढ़ सकता है, उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुँच सकती है और अपने शरीर के प्रति उनकी धारणा पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। यह लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य व कल्याण को गहराई तक प्रभावित करता है, जो कि उनके शैक्षणिक प्रदर्शन और करियर में सफलता पर असर डाल सकता है।

फ़ेसबुक की रिसर्च का उल्लेख किया

यूनेस्को ने अपनी रिपोर्ट में फ़ेसबुक की रिसर्च का उल्लेख किया है, जिसके अनुसार एक सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वाली 32 फ़ीसदी किशोर लड़कियों ने बताया कि उन्हें अपने शरीर के बारे में बुरा महसूस होता है और इस वजह से इंस्टाग्राम नामक चैनल पर तो स्थिति और भी दयनीय है। वहीं, टिकटोक नामक चैनल पर संक्षिप्त अवधि के वीडियो शेयर किए जाते हैं और ये प्लैटफ़ॉर्म युवाओं में बेहद लोकप्रिय है, और उनके द्वारा लम्बे समय तक देखा जाता है। मगर, इससे बच्चों की एकाग्रता और सीखने की प्रवृत्ति पर असर हो सकता है, और उनके लिए पढ़ाई-लिखाई व अन्य कार्यों में लम्बे समय तक तन्मयता के साथ काम करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।

लड़कियों के लिए नकारात्मक दकियानूसी छवियों को गढ़ा जाता है

रिपोर्ट के अनुसार, सोशल मीडिया पर जिस तरह लड़कियों के लिए नकारात्मक दकियानूसी छवियों को गढ़ा जाता है, वो उन्हें विज्ञान, टैक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग व गणित विषयों में पढ़ाई से दूर ले जा सकती है। तस्वीर-आधारित यौन सामग्री, एआई से तैयार झूठी तस्वीरों व वीडियो (डीपफ़ेक) के ऑनलाइन व कक्षाओं में शेयर किए जाने से हालात और जटिल हो रहे हैं।

बचाव के उपायों पर जोर

गौरतलब हो, रिपोर्ट में इन हालात पर चिंता जताते हुए शिक्षा में अधिक स्तर पर निवेश किए जाने की अहमियत को रेखांकित किया गया है, खासतौर पर मीडिया व सूचना साक्षरता के विषय में, साथ ही डिजिटल प्लेटफॉर्म, यूनेस्को के दिशानिर्देशों के अनुरूप स्मार्ट ढंग से नियामन किया जाना होगा। बता दें कि यूनेस्को ने इन गाइडलाइंस को पिछले वर्ष नवंबर महीने में जारी किया था।

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