Bhai Dooj 2023: When is Bhai Dooj? Know the correct date and auspicious time from the astrologer of Ayodhya
हिंदू पंचांग के मुताबिक, हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. दिवाली के बाद देशभर में भाई दूज का पर्व बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक होता है. हालांकि इस वर्ष भाई दूज के पर्व को लेकर लोगों में कंफ्यूजन की स्थिति है. कब है भाई दूज का पर्व? क्या है शुभ मुहूर्त?
अयोध्या की ज्योतिषी पंडित कल्कि राम ने बताया कि ज्योतिष गणना में कोई भी पर्व अथवा तिथि उदया तिथि में ही मान्य होती है. उदया तिथि में किया गया कार्य बेहद शुभ माना जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी आयु के लिए ईश्वर से सुख समृद्धि की कामना करती हैं. वहीं, इस शुभ अवसर पर अपने भाई के माथे पर टीका और हाथ में कलावा (रक्षा सूत्र) बांधकर तिलक करती हैं.
जानिए क्या है शुभ मुहूर्त?
ज्योतिष पंडित कल्कि राम ने बताया कि हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 14 नवंबर दोपहर 2:36 बजे तक है. इसके पश्चात द्वितीया तिथि 14 नवंबर को 2:36 से 15 नवंबर दोपहर 1:45 बजे तक रहेगी. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, भाई दूज का पर्व दिन में मनाया जाता है. इस वजह से 14 नवंबर को दोपहर के समय से बहनें अपने भाई के माथे पर टीका लगाकर उनकी लंबी दीर्घ आयु की कामना करते हुए रक्षा सूत्र बांध सकती हैं. अयोध्या के ज्योतिष की मानें तो 14 नवंबर से लेकर 15 नवंबर तक भाई दूज का पर्व मनाया जा सकता है.
टीका और कलावा बांधने का शुभ मुहूर्त
अयोध्या के ज्योतिषी ने बताया कि भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं. इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर टीका लगाती है. टीका लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:10 से लेकर 3:19 तक रहेगा. अयोध्या के ज्योतिषी के मुताबिक, तिलक के समय भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम में से किसी एक दिशा में होना चाहिए. जबकि बहन का मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व में होना सही माना जाता है.
भाई दूज का महत्व
दिवाली के बाद के बाद भाई दूज का पर्व बहन और भाई के लिए होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पर्व को मनाने से भाई को अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है. बहन अपने भाई के सुख और समृद्धि के लिए कामना करती है.