ट्राइफेड हैंडीक्राफ्ट ने की 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई,भारत के हैंडीक्राफ्ट बना रहे वैश्विक पहच

Admin Posted on: 2022-11-07 12:01:00 Viewer: 242 Comments: 0 Country: India City: Singrauli

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भारत जहां अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए निर्यात पर फोकस कर रहा है, वहीं देश में सबका साथ के साथ सबके विकास पर भी ध्यान दे रहा है। ऐसे में देश के निर्यात में हैंडीक्राफ्ट का हिस्सा बढ़ता जा रहा है। हैंडीक्राफ्ट का करीब 30 फीसदी की दर से निर्यात बढ़ रहा है। हैंडीक्राफ्ट में ट्राइफेड प्रोडक्ट्स की भी बड़ी हिस्सेदारी है, जिन्हें अब ग्लोबल मार्केट भी मिलने लगा है। यही वजह है कि आज आदिवासी समाज भी देश के विकास में अपना योगदान दे रहा है और भारत के आदिवासी समाज की अविश्वसनीय हस्तशिल्प एक वैश्विक पहचान बन रही है। हाल ही के आंकड़ों के मुताबिक आदिवासी हस्तशिल्प ने विदेशी बाजारों में 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की है।

इस बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि भारत अब सबसे बड़े हस्तशिल्प निर्यातक देशों में से एक है, जिसमें आदिवासी हस्तशिल्प विदेशी बाजारों में 120 मिलियन डॉलर से अधिक की कमाई करते हैं।
90 से अधिक देशों में भारतीय हस्तशिल्प की हो रही खरीद
दरअसल, इन आदिवासी उत्पादों को बेचने में ट्राइफेड इंडिया मंच प्रदान करता है और एक कनेक्टर की भूमिका निभाता है, जहां आदिवासी कारीगर और इकट्ठा करने वाले अपनी उत्कृष्ट कृतियों को रख सकते हैं और बिक्री के लिए उत्पादन कर सकते हैं। एक बहु-चैनल रणनीति को अपनाया गया है और प्रत्येक चैनल के माध्यम से बिक्री को अनुकूलित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य आदिवासी लोगों को उनके काम का एक आउटलेट देकर अधिक आय उत्पन्न करना है। बता दें कि दुनिया के 90 से अधिक देश भारत के हस्तशिल्प उत्पादों को खरीदते हैं।

इनमें से कुछ चैनल जिनके माध्यम से जनजातीय उत्पादों के लिए बाजार की सहायता प्रदान की जाती है, उसमें…
–ट्राइब्स इंडिया – द आर्ट एंड सोल ऑफ इंडिया – रिटेल आउटलेट्स

–अनादि महोत्सव और प्रदर्शनियों

— ई-कॉमर्स

ऑनलाइन भी मिल रहे ट्राइफेड उत्पाद
बता दें कि वर्तमान में ट्राइफेड के पूरे देश में 100 से ज्यादा रिटेल स्टोर हैं, करीब 28 राज्य इसमे पार्टनर हैं, जो जनजातीय समूह द्वारा बनाए उत्पादों बाजार की व्यवस्था करते थे। रिटेल स्टोर के अलावा ई-मार्केट प्लस के जरिए भी ट्राइफेड उत्पाद को प्लेटफॉर्म मिलता है। यह आदिवासियों को डिजिटल ई-कॉमर्स के तहत एक शॉप खुलवाने की योजना है। ई-मार्केट प्लस या अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ये लोग अपने सभी उत्पादों को देश-विदेश में ई-मार्केट के जरिए बेच सकेंगे। उनकी हर एक सामग्री को पोर्टल के साथ लिंक कर दिया जाएगा। इसके अलावा देश में 85 स्थानों पर दुकान थी, उसे भी डिजिटल से लिंक किया जा रहा है। इससे जनजातीय लोगों की आजीविका को भी बल मिलेगा। आदिवासी समूह के उत्पाद आज ट्राइब्स इंडिया की वेबसाइट के अलावा अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, और सरकारी ई बाजार-जेम पर भी उपलब्ध हैं।

ट्राइफेड उत्पादों की हो रही MSP पर खरीदारी
ट्राइफेड आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए कई कार्यक्रमों को लागू कर चुका है। पिछले दो वर्षों में, “न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के माध्यम से लघु वनोपज (MFP-minor forest produce) का विपणन और एमएफपी के लिए मूल्य श्रृंखला के विकास” ने जनजातीय पारिस्थितिकी तंत्र को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। इस योजना के माध्यम से, योजना निधि का उपयोग करके 317.13 करोड़ रुपये के एमएफपी की खरीद की गई है और राज्य निधि का उपयोग करके 1542.88 करोड़ मूल्य के एमएफपी की खरीदी की गई है। इसी योजना का एक घटक, वन धन आदिवासी स्टार्ट-अप, आदिवासी संग्रहकर्ताओं और वनवासियों और घर में रहने वाले आदिवासी कारीगरों के लिए रोजगार सृजन के स्रोत के रूप में उभरा है।

वन धन सेल्फ हेल्प ग्रुप से मिल रही आजीविका
बता दें कि दो साल से भी काम समय में, ट्राइफेड ने 25 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के, 3110 वन धन विकास केन्द्रों से बने 52,967 वन धन सेल्फ हेल्प ग्रुप को स्वीकृति दी है और जिससे 9.27 लाख लाभार्थियों को आजीविका प्राप्त हुई है । इस योजना के माध्यम से विकसित किए गए उत्पादों को ट्राइब्स इंडिया आउटलेट और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (www.tribesindia.com) के माध्यम से बेचा जाता है और उन्हें अन्य मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से भी विपणन किया जाता है।

वर्तमान में, एक आदर्श वन-स्टॉप गंतव्य, “ट्राइब्स इंडिया” के कैटलॉग जिसमें देश भर के प्राकृतिक उत्पाद, हस्तशिल्प और हथकरघा आदिवासी जीवन के तरीकों को दर्शाते हैं, को शामिल किया गया है। इसके अलावा, TRIFED जनजातीय उत्पादों को “ट्राइब्स इंडिया” नामक अपनी दुकानों के माध्यम से और फ्रेंचाइजी आउटलेट्स और राज्य एम्पोरिया के आउटलेट्स के माध्यम से विपणन कर रहा है। TRIFED ने 1999 में नई दिल्ली में एकल दुकान के साथ शुरुआत की और अब, TRIFED 119 ऐसे आउटलेट के माध्यम से इन आदिवासी उत्पादों का विपणन करता है।

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