मृत्यु अटल है, लेकिन अटल अमर हैं :जन्म जयंती विशेष

Admin Posted on: 2022-12-25 15:19:00 Viewer: 680 Comments: 0 Country: India City: Delhi

मृत्यु अटल है, लेकिन अटल अमर हैं :जन्म जयंती विशेष Death is inevitable, but Atal is immortal: Birth anniversary special

मृत्यु अटल है, लेकिन अटल अमर हैं :जन्म जयंती विशेष
हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा, काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं ! गीत नया गाता हूं।

Singrauli Mirror News : भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को ‘जनता के प्रधानमंत्री’ के रूप में भी जाना जाता है। वें एक ऐसे इंसान थे जो बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक सभी के बीच में लोकप्रिय थे। राजनीति में मूल्यों और आदर्शों को स्थापित करने वाले राजनेता और प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी का काम बहुत शानदार रहा इसलिए आज उनके जन्मदिन को देश सुशासन दिवस के रूप में मनाता है। इस लेख में हम भारतरत्न अटल बिहारी के जीवन के उन पहलुओं के बारे में बात करेंगे जिसके लिए लोग आज भी उन्हें याद करते हैं।

विरोधियों के भी थे अपने
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी भारतीय राजनीति के इतिहास के एकमात्र ऐसे नेता हुए है जो कि विपक्ष के नेताओं के भी प्रिय रहे हैं। विपक्षी नेताओं के साथ उनका मतभेद जरूर था लेकिन मनभेद कभी नहीं हुआ। सब के चहेते और विरोधियों का भी दिल जीत लेने वाले बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी अटल बिहारी वाजपेयी का सार्वजनिक जीवन सादगी भरा और बेदाग रहा।

प्रखर वक्ता और कवि
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ। इनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापक थे। इनके पिता हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। अटल बिहारी वाजपेयी खुद भी एक प्रखर वक्ता और कवि थे। ये कहा जा सकता है कि ये गुण उन्हें उनके पिता से वंशानुगत मिले थे। वाजपेयी छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और संघ की शाखाओं में हिस्सा लेते रहे। उन्होंने पत्रकार के रूप में भी काम किया और लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।

जब पहली बार सांसद बने
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे। वह 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। पहली बार 1957 में उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर वह लोकसभा पहुंचे। उन्होंने अपने ओजस्वी भाषणों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को भी प्रभावित किया।

यूएन में हिंदी में भाषण देने वाले पहले वक्ता
आपातकाल लगाने की वजह से कांग्रेस को 1977 के लोकसभा चुनावों में हार झेलनी पड़ी और देश में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी। इस सरकार के मुखिया स्वर्गीय मोरारजी देसाई थे और अटल बिहारी वाजपेयी को विदेश मंत्री बनाया गया। अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाले देश के पहले वक्ता बने।

भाजपा सबसे बड़ा दल
1980 में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने सहयोगी नेताओं के साथ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की और भाजपा के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। 1996 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

पोखरण परमाणु परीक्षण
1998 में भाजपा ने फिर दूसरी बार सरकार बनाई और अटल बिहारी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। इस दौरान प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर पूरे विश्व को भारत की शक्ति का एहसास करा दिया। अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत कई देशों ने भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए लेकिन इसके बाद भी भारत अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में हर तरह की चुनौतियों से सफलतापूर्वक निबटने में सफल रहा।

दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा
अटल बिहारी वाजपेयी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। उन्होंने 19 फरवरी 1999 को सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर तक बस सेवा शुरू कराई।

कारगिल विजय
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। भारतीय सेना और वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई कर पाकिस्तान को सीमा पार वापिस जाने को मजबूर कर दिया। भारत ने कारगिल युद्ध जीत लिया। कारगिल युद्ध की विजय का पूरा श्रेय अटल बिहारी वाजपेयी को दिया गया।

लोक कल्याणकारी प्रधानमंत्री
कारगिल युद्ध में विजय के बाद हुए 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनायी और इस सरकार ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। इन पांच सालों में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने देश के गरीबों, किसानों और युवाओं के लिए अनेक योजनाएं लागू की। अटल सरकार ने भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की। यही नहीं, प्रधानमंत्री सड़क परियोजना के जरिए देशभर के गांवों को मुख्य संपर्क पथ से जोड़ने, स्कूल चलो अभियान जैसे कार्यक्रमों के जरिए लोगों ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के लोक कल्याणकारी पक्ष को भी जाना।

भारत रत्न से सम्मानित
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर जाकर सम्मानित किया। भारतीय राजनीति के युगपुरुष, देश सुधारक, हृदयस्पर्शी कवि, श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ, लोकप्रिय राजनेता, अजातशत्रु पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को 93 साल की उम्र में निधन हो गया। देश भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में देश के आर्थिक विकास और गरीब वर्ग के सामाजिक कल्याण के लिए उनके योगदान को हमेशा याद रखेगा। अटल बिहारी भारतीय राजनीति के इतिहास के एकमात्र ऐसे नेता हुए हैं, जो कि विपक्ष के नेताओ के भी प्रिय रहे है क्योंकि अटल बिहारी विपक्षी नेताओं से केवल वैचारिक मतभेद रखते थे कोई व्यक्तिगत मतभेद उनमें नजर नहीं आता था।

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