Bihar: Neither the police nor the family could find him, Aadhar card key did miracles,
7 सालों बाद मां से मिले बिछड़े भाई-बहन
Bihar news:- बिहार के पश्चिमी चंपारण से एक चौकाने वाली खबर सामने आई है. आधार कार्ड में लगाए गए अंगूठे ने 7 साल बाद घर से पिछले दो बच्चों को मां-बाप तक पहुंचाया है. नरकटियागंज के प्रकाशनगर नया टोला से सात साल पहले 21 जून 2016 से गायब भाई बहन को लाख कोशिशों के बावजूद शिकारपुर पुलिस नहीं खोज पाई, न ही उसके परिजन ही ढूंढ़ पाए. लेकिन, अंगूठे के निशान ने उसके परिजनों को खोज निकाला और बच्चों का ठिकाना भी मिल गया.
दरअसल नरकटियागंज से दोनों भाई बहन कौशकी और उसका भाई राजीव कुमार उर्फ़ इन्दरसेन लापता हो गए थे. उस वक्त उसकी मां सुनीता देवी ने शिकारपुर थाने में आवेदन दिया, जिसपर एक माह बाद केस दर्ज हुआ. केस में सुनीता ने एक महिला पर गायब कर देने का संदेह जताया था. उस समय पुलिस भी इस केस को हल करने को लेकर काफी परेशान रही. लेकिन, लाख कोशिश के बावजूद बच्चों को नहीं ढूढ़ पाई.
मिली जानकारी के अनुसार फिर यह मामला हाईकोर्ट तक गया. तत्कालीन अनुसंधानक पर गाज भी गिरी. कई आईओ बदल गए. लेकिन, सभी गायब भाई-बहन को नहीं ढूढ़ पाए. उस वक्त बच्ची की उम्र लगभग 12 वर्ष व बच्चे की उम्र लगभग 9 वर्ष थी. परिजनों ने हर एनजीओ से लेकर अपने स्तर से गोरखपुर से लेकर दिल्ली कोलकाता तक छान मारा. लेकिन, कहीं पता नहीं चल सका. इधर लखनऊ के बाल सुधार गृह में रह रहे बच्चों में से एक अंजलि को ज़ब नौवीं कक्षा में नाम लिखाने के लिए आधार कार्ड की जरूरत पड़ी. ऐसे में संस्थान ने आधार कार्ड बनवाने के लिए जब बच्ची अंजलि के अंगूठे का निशान लिया तो उनकी पहचान उजागर हुई. तब पता चला कि अंजलि का आधार पहले से बना है और उसका नाम कौशकी है और वह नरकटियागंज कि रहनेवाली है.
बताया जाता है कि इसके बाद बाल सुधार गृह लखनऊ में रह रहे दोनों भाई बहन का पता चल पाया. इसके बाद संस्थान ने शिकारपुर पुलिस से संपर्क किया, जब शिकारपुर पुलिस वहां पहुंची तो सिर्फ कौशकी जो अब वहां अंजलि बन चुकी थी. उसे लेकर नरकटियागंज पहुंची और बेतिया कोर्ट ले गई. लेकिन, भाई राजीव को नहीं ला सकी क्योंकि छठी में पढ़ रहे राजीव की परीक्षा चल रही था. घर आकर परिजनों से मिल अंजलि बहुत खुश है तो परिजन भी खुश है.
लेकिन इस खुशी के बीच मां सुनीता ने मीडिया के माध्यम से यह गुजारिश की है कि उसके बेटे को बयान के लिए यहां न लाया जाय. उसका बयान ऑनलाइन ही कोर्ट में कराया जाए. दलील यह है कि वह जहां पढ़ाई कर रहा है, वहां अच्छी शिक्षा मिल रही है. यहां आने से पढ़ाई बाधित हो सकती है. उन्होंने अंजलि को भी जल्द से जल्द लखनऊ भेज देने की गुजारिश की है. अंजलि का कहना है कि वह बड़ी होकर आईएएस बनना चाहती है.